यह ख़बर 08 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

टी-20 प्रारूप ने क्रिकेट को नया जीवन दिया : रिचर्ड्स

खास बातें

  • वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज सर विव रिचर्ड्स को एक बार डर सताने लग गया था कि स्टेडियम में दर्शकों की भारी कमी के कारण टेस्ट क्रिकेट धीमी मौत मर जाएगा लेकिन अब उनका मानना है कि ट्वेंटी-20 प्रारूप के आने से इस खेल का नई जिंदगी मिली है।
मुंबई:

वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज सर विव रिचर्ड्स को एक बार डर सताने लग गया था कि स्टेडियम में दर्शकों की भारी कमी के कारण टेस्ट क्रिकेट धीमी मौत मर जाएगा लेकिन अब उनका मानना है कि ट्वेंटी-20 प्रारूप के आने से इस खेल का नई जिंदगी मिली है।

रिचर्ड्स ने कहा, ‘‘एक बार मुझे लग रहा था कि पूरी दुनिया विशेषकर भारत में टेस्ट क्रिकेट खत्म होता जा रहा है। दुनिया में टेस्ट मैचों में सबसे अधिक उपस्थिति भारत में होती थी और इसमें बड़ी तेजी से कमी आई है।’’

उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘टी-20 क्रिकेट भले ही खेल का छोटा प्रारूप हो लेकिन यह है तो क्रिकेट ही। इसने क्रिकेट को नई जिंदगी दी है। कुछ ऐसे लोग हैं जो टेस्ट मैचों का पसंद करते हैं और कुछ लोगों की पसंद निश्चित तौर पर टी-20 क्रिकेट है। टी-20 क्रिकेट के जितने अधिक प्रशंसक हैं उसे देखकर मुझे लगता है कि यह खेल के लिये काफी फायदेमंद है।’’

अपने युग के विस्फोटक बल्लेबाज रिचर्ड्स ने कहा कि उनके लिए टेस्ट क्रिकेट हमेशा सर्वोच्च रहेगा तथा इसको समझने और जानने के लिए युवा पीढ़ी को लंबे प्रारूप की कठोरता से गुजरना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘सभी प्रशासकों और संचालन संस्थाओं को अब पता चल गया है कि आगे बढ़ने के लिए आम समझ होनी चाहिए। यदि आपको खेल समझना है तो इसके लिए सबसे बेहतरीन प्रारूप की जरूरत पड़ेगी और जो कि टेस्ट क्रिकेट है। आप इसे बदल नहीं सकते। मेरे विचार में टेस्ट क्रिकेट सर्वोच्च है।’’

रिचर्ड्स ने कहा कि उन्हें भारतीय उप-कप्तान विराट कोहली की मैदान पर आक्रामकता पसंद है तथा जिसे अधिकतर लोग उनका अहंकार मानते हैं असल में वह उनका आत्मविश्वास है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा हमेशा मानना रहा है जिसे आप अहंकार मानते हो मैं उसे आत्मविश्वास मानता हूं। विराट कोहली में ऐसी आक्रामकता है कि चाहे मुझे किसी का भी सामना करना हो, मुझे अपना काम करना है। शुरुआत करने के बाद जितनी जल्दी हो सकते अपनी उपस्थिति दर्ज कराना महत्वपूर्ण है।’’

वेस्टइंडीज को 1970 के दशक में सबसे मजबूत टीम माना जाता था और रिचर्ड्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद उनकी मैच जीतने के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिताजी मुझसे कहा करते थे क्रिकेट भद्रजनों का खेल है लेकिन मुझे जल्द ही ऑस्ट्रेलिया में पता चल गया कि ऐसा नहीं है। हम 5-1 से हार गए थे। हमारी मजाक उड़ाई जाती थी। तब क्लाइव लॉयड ने फैसला किया कि अब बहुत हो चुका है। हमें इन लोगों को देखना होगा। यदि हमें कुछ ऐसे खिलाड़ी मिल जाएं जो हमें अच्छी शुरुआत दे सकते हैं तो फिर हम देख लेंगे कि वे क्या चाहते हैं।’’

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रिचर्ड्स ने कहा, ‘‘हमें 1975 में ऐसे खिलाड़ी मिल गये और इसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह बड़ा दिलचस्प था कि जो लोग हमारी मजाक उड़ाते थे अब वही अपने चेहरे छिपाने की जगह ढूंढ़ रहे थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारी श्रृंखलाएं बहुत मजेदार थी। हमारे पास माइकल होल्डिंग, एंडी राबर्ट्स, मैलकम मार्शल आदि थे और खेल का संपूर्ण पहलू बदल गया था।’’