टी-20 : युवा की जगह अनुभवी खिलाड़ियों को तरजीह क्यों?

टी-20 : युवा की जगह अनुभवी खिलाड़ियों को तरजीह क्यों?

युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

टीम-इंडिया 2007 में टी-20 क्रिकेट की चैम्पियन बनी। उस टीम की ख़ासियत ये भी थी कि उसमें युवा और नए खिलाड़ियों की भरमार थी। कप्तान भी नया था। लेकिन इस बार कहानी बिलकुल अलग हो सकती है। पुराने खिलाड़ियों को फिर बुलावा भेजा गया है। ये बात अपने साथ अनुभव और उम्र दोनों लेकर आई है।
 
आशीष नेहरा
उम्र-36 साल
आख़िरी टी-20 - जनवरी 2011

युवराज सिंह
उम्र-34 साल
आख़िरी टी-20 - अप्रैल 2014

हरभजन सिंह
उम्र-35 साल
आख़िरी टी-20 - अक्टूबर 2015

सुरेश रैना
उम्र-29 साल
आख़िरी टी-20 - अक्टूबर 2015

पिछले शनिवार को राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम घोषित की तो कई फ़ैसले हैरान करने वाले रहे। टी-20 टीम में युवा खिलाड़ियों को तरज़ीह दिए जाने की बजाय आशीष नेहरा को मौक़ा दिया गया है। नेहरा को भारत की ओर से टी-20 मैच खेले पांच साल हो चुके हैं।

2007 वर्ल्ड टी-20 और 2011 वर्ल्ड कप के हीरो रहे युवराज सिंह भी करीब डेढ़ साल से टी-20 टीम से बाहर हैं। हरभजन सिंह और सुरेश रैना भी क्रिकेट में युवा नहीं कहे जा सकते। 2007 में पहले वर्ल्ड टी-20 में टीम इंडिया की बागडोर युवा महेन्द्र सिंह धोनी को सौंपी गई थी तब उनकी उम्र 26 साल थी।

सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने टीम से नाम वापस ले लिया था। उन्हें लगा कि टी-20 फ़ॉर्मेट युवा खिलाड़ियों के लिए है। आठ साल बाद चयनकर्ता युवा की बजाए अनुभवी खिलाड़ियों पर भरोसा कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद भारत को एशिया कप टी-20 और वर्ल्ड टी-20 टीम में हिस्सा लेना है।

मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल दलील देते हैं, "ये सिर्फ़ युवाओं का खेल नहीं है। ये अनुभव का भी खेल है। मैं अभी से ये वादा नहीं कर रहा हूं कि ये सभी खिलाड़ी वर्ल्ड टी-20 टीम में शामिल होंगे। उन्हें मौक़ा मिला है और प्रदर्शन से जगह बनानी होगी।"

युवराज सिंह को विजय हजारे ट्रॉफ़ी में प्रदर्शन के आधार पर जगह मिली है जबकि आशीष नेहरा को आईपीएल में प्रदर्शन का इनाम मिला है। संदीप पाटिल, कहते हैं, "आशीष नेहरा का टी-20 में लगातार अच्छा प्रदर्शन रहा है। हमें लगा कि ये सही समय है उन्हें आजमाने का।"

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सबसे अहम बात रही चयनकर्ताओं ने धोनी को अगले साल वर्ल्ड टी-20 तक सीमित ओवर्स कप्तान बनाए रखने का एलान किया। हालांकि धोनी की कप्तानी में भारत ने इस साल एक भी वनडे सीरीज़ जीतने में नाकाम रहा।