टीम इंडिया के इस करोड़पति तेज गेंदबाज के 'उद्योगपति' दादा अब जी रहे हैं गरीबी में...

क्रिकेट में इस समय अपार पैसा है. खासतौर से जबसे आईपीएल की शुरुआत हुई है, तो इंटरनेशनल क्रिकेटरों के साथ-साथ घरेलू क्रिकेटरों के भी दिन फिर गए हैं और उनमें से ज्यादातर करोड़पति या लखपति हो गए हैं.

टीम इंडिया के इस करोड़पति तेज गेंदबाज के 'उद्योगपति' दादा अब जी रहे हैं गरीबी में...

जसप्रीत बुमराह इस समय टीम इंडिया के मुख्य तेज गेंदबाज हैं... (फाइल फोटो)

खास बातें

  • क्रिकेटर के दादा पहले थे बड़े उद्योगपति
  • अहमदाबाद में थीं उनकी कई कंपनियां
  • बिजनेस में उनको काफी नुकसान हुआ
किच्छा (उत्तराखंड):

क्रिकेट में इस समय अपार पैसा है. खासतौर से जबसे आईपीएल की शुरुआत हुई है, तो इंटरनेशनल क्रिकेटरों के साथ-साथ घरेलू क्रिकेटरों के भी दिन फिर गए हैं और उनमें से ज्यादातर करोड़पति या लखपति हो गए हैं. अब यह अलग बात है कि ये क्रिकेटर अपने परिवार वालों की कितनी मदद करते हैं. खासतौर से अपने बुजर्ग दादा, या माता-पिता की. हाला ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें टीम इंडिया के स्टार और करोड़पति तेज गेंदबाज के गरीबी में जीवन बिताने की खबर है.

वैसे तो पहली नजर में इस खबर पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल लगता है है कि भारतीय क्रिकेट टीम के गेंदबाज करोड़पति जसप्रीत बुमराह के दादा एक छोटे से कस्बे में किराए के टूटेफूटे कमरे में रहकर मुफलिसी में जिंदगी बिता रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि वह शुरू से गरीब थे. बस किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. एक समय वह अहमदाबाद के बड़े उद्योगपतियों में शुमार थे. जसप्रीत के दादा का नाम संतोख सिंह बुमराह है, जो करोड़पति से आज रोजी रोटी के लिए मोहताज़ हैं.

संतोख सिंह आजकल बुढ़ापे में अपने पोलियोग्रस्त छोटे बेटे जसविंदर सिंह के साथ उधम सिंह नगर जिले के इस छोटे से कस्बे में किराए के टूटे फूटे कमरे में रह रहे हैं और टैम्पू चलवाकर कर अपना और उसका भरणपोषण कर रहे हैं. कभी गुजरात के अहमदाबाद में बटवा इंडस्ट्रियल स्टेट में संतोख सिंह का जलवा था और वह मंहगी कारों और हवाई जहाज प्लेन में सफर किया करते थे. अहमदाबाद में उनकी तीन फैक्ट्रियां, जे. के. इण्डस्ट्रीज़, जे.के. मशीनरी इकोमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जे.के. इकोमेंट थीं. इसके अलावा, उनकी दो सिस्टर कंसर्न गुरनानक इंजीनियरिंग वर्क्स और अजीत फैब्रीकेटर भी थीं.

सारा कारोबार क्रिकेटर जसप्रीत के पिता जसवीर सिंह संभालते थे. वर्ष 2001 में बेटे की बीमारी से मौत से संतोख सिंह टूट गए और फैक्ट्रियां भी आर्थिक संकट से घिर गईं. बैंको का कर्ज़ा निपटाने के लिए उन्हें तीनों फैक्ट्रियों को बेचना पड़ा और करोड़पति संतोख सिंह खाकपति हो गए. अपने सुनहरे दिनों की याद करते करते संतोख सिंह की बूढी आंखों में आंसू छलक आते हैं.

हालांकि ज़िन्दगी की आखिरी दहलीज़ पर पहुंचे 84 साल के बुज़ुर्ग संतोख सिंह को अपनी इस ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है और वह इसे कुदरत का खेल मानते हैं.

आज उनका पोता आज देश का बड़ा क्रिकेटर बन गया है और जब वह अपने पोते जसप्रीत को टीवी पर तेज़ गेंदबाज़ी करते देखते है ,तो उनमें जवानी का जोश भर जाता है. उन्होंने कहा, 'कभी गोदी में खेलता उनका पोता आज देश के लिए खेल रहा है और वह क्रिकेट का चमकता सितारा बन गया है.'

संतोख सिंह ने जसप्रीत के बचपन की फोटो बहुत सहेज कर रखी है और वह उससे मिलना चाहते हैं. संतोख सिंह का कहना है कि जीवन के आखिरी पड़ाव में उनकी तमन्ना अपने पोते को गले लगाकर उसे प्यार करने की है और वह उसे छूकर आशीर्वाद देना चाहते है. उन्होंने कहा कि अगर यह सच हो गया तो यही उनकी ज़िन्दगी का सबसे बेहतरीन पल होगा. मीडिया के माध्यम से मिलने का मार्मिक सन्देश वह अपने पोते तक पहुंचाना चाहते हैं.

संतोख सिंह ने कहा कि उनकी आखिरी ख्वाहिश अपने पोते क्रिकेटर जसप्रीत से मिलने की है चाहे इसके बाद भले ही मौत उन्हें गले लगा ले. उन्होंने कहा, 'अब वाहे गुरु मेरी अंतिम इच्छा पूरी कब करते है. मैं उसका इंतज़ार कर रहा हू.' इस बीच, क्रिकेटर जसप्रीत के दादा की माली हालात की जानकारी मिलने पर उपजिलाधिकारी नरेश दुर्गापाल ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाया और उन्हें आथर्कि मदद का भरोसा दिलाया.

दुर्गापाल ने कहा कि इस मामले में सत्यापन कराया जा रहा है जिसके बाद उन्हें मदद दी जाएगी. उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री से भी मदद दिलाने का प्रयास किया जाएगा.


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