शास्त्री, मूडी जैसे 57 दिग्गजों को पीछे छोड़ टीम इंडिया के कोच बने अनिल कुंबले के मैच विजयी प्रदर्शन

शास्त्री, मूडी जैसे 57 दिग्गजों को पीछे छोड़ टीम इंडिया के कोच बने अनिल कुंबले के मैच विजयी प्रदर्शन

अनिल कुंबले अपनी जीवटता के लिए जाने जाते हैं (फाइल फोटो)

रवि शास्त्री और टॉम मूडी जैसे 57 दिग्गजों को पछाड़कर टीम इंडिया के नए हेड कोच बने अनिल कुंबले की कद-काठी पर नजर डालेंगे, तो लगेगा कि उन्हें तो तेज गेंदबाज होना चाहिए था, लेकिन कुंबले ने करियर चुनते समय स्पिन गेंदबाजी का विकल्प अपनाया। एक ऐसा स्पिनर जिसकी गेंदें ज्यादा टर्न नहीं लेती थीं, लेकिन सटीक लाइन-लेंथ और उछाल से बल्लेबाजों के पसीने छूट जाते थे। उनके खास प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 1996 में 'विज्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' भी चुना जा चुका है। वह भारत के श्रेष्ठ मैच विजेता रहे हैं...( पढ़ें- जब जबड़ा टूटा होने पर भी मैदान में उतर गए टीम इंडिया के नए कोच अनिल कुंबले... )

टीम इंडिया के टेस्ट क्रिकेट इतिहास को देखें तो जितने टेस्ट मैच कुंबले ने जिताए हैं, उतने अन्य किसी भी गेंदबाज ने नहीं जिताए। अब कोच के रूप में उनसे टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में नई ऊंचाइयों तक ले जाने की जिम्मेदारी होगी। खासतौर से विदेशी धरती पर लगातार गिरता प्रदर्शन उनके लिए बड़ी चुनौती होगा। हालांकि कुंबले चुनौतियों से नहीं घबराते। जरा 2002 का एंटीगुआ (वेस्टइंडीज) टेस्ट याद कीजिए, जब वह जबड़ा टूटा होने पर भी पट्टी बांधकर मैदान में उतर गए थे और 14 ओवर की गेंदबाजी में ब्रायन लारा का विकेट भी झटक लिया था। आइए जानते हैं कुंबले की मैच जिताऊ उपलब्धियों के बारे में-

टीम की जीत में सबसे अधिक विकेट
टीम इंडिया को टेस्ट मैचों में अव्वल बनाने की चुनौती का सामना करने जा रहे अनिल कुंबले का खिलाड़ी के रूप में मैच जिताने में अहम योगदान रहा है। कुंबले के दो दशक के लंबे करियर में टीम इंडिया ने 43 मैच जीते, जिनमें कुंबले ने 288 विकेट लिए। इनमें उनका औसत 18.75 का रहा। इस दौरान उन्होंने 20 बार एक पारी में 5 विकेट और पांच बार 10 विकेट झटके। मैच जिताने वाले भारतीय खिलाड़ियों की इस सूची में उनके बाद हरभजन सिंह हैं। फिर भागवत चंद्रशेखर (14 मैच, 98 विकेट), बिशन सिंह बेदी (17 मैच, 97 विकेट) और कपिल देव (24 मैच, 90 विकेट) के नाम दर्ज हैं।

(पढ़ें- कोच पद के लिए ये बातें गईं कुंबले के पक्ष में...)
भारतीय पिचों पर तो कई बार कुंबले को खेलना इतना मुश्किल हो जाता था कि एक बार ज्योफ्री बॉयकॉट ने कहा था, 'भारतीय विकेटों पर कुंबले से बेहतर कोई और नहीं है। यदि भारतीय पिचों पर मुझे उनका सामना करना पड़े, तो इसका सबसे अच्छा तरीका होगा कि मैं नॉन-स्ट्राइकर छोर पर ही रहूं।'

हेडिंग्ले टेस्ट, इंग्लैंड- 2002 : मैच विजेता के रूप में उदय
अनिल कुंबले ने तेज गेंदबाजों खासतौर से स्विंग के उस्तादों के लिए मददगार विकेट पर भी अपना परचम लहरा दिया था। उन्होंने टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे में अगस्त, 2002 में हेडिंग्ले टेस्ट मैच में 7 विकेट चटकाते हुए भारत को 46 रन से जीत दिला दी थी। विदेशी धरती पर मिली यह जीत बेहद खास थी, क्योंकि टीम इंडिया वहां जीत के लिए हमेशा संघर्ष करती रही। इस मैच के बाद से कुंबले ने मैच विजेता गेंदबाज के रूप में ख्याति अर्जित कर ली।

धुर विरोधी पाकिस्तान की धरती पर दिलाई फतह
टीम इंडिया को अपने पड़ोसी और धुर विरोधी पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज जीत हासिल करने के लिए 2004 तक लंबा इंतजार करना पड़ा। यह जीत भी कुंबले के रहते हासिल हुई या यूं कहें कि उनके अहम योगदान से ही मिल सकी। अप्रैल, 2004 की इस सीरीज में अनिल कुंबले ने 3 टेस्ट मैचों में 15 विकेट हासिल किए। भारत को इनमें से 2 में जीत मिली, जबकि एक मैच में हार का सामना करना पड़ा। इस प्रकार उसने पाकिस्तान में पहली बार 2-1 से सीरीज पर कब्जा जमाकर इतिहास रच दिया। दरअसल कुंबले दोनों टीमों में से सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले गेंदबाज रहे।

35 साल बाद वेस्टइंडीज को हराया
वेस्टइंडीज की धरती तेज गेंदबाजों के लिए हमेशा मददगार रही है और टीम इंडिया के पास ऐसा कोई तेज गेंदबाज नहीं था, जो वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाजों को पैवेलियन भेज सके, लेकिन जून 2006 में परिस्थितियां बदलीं और तेज विकेटों पर स्पिनर अनिल कुंबले ने वह कर दिखाया, जो कोई भी गेंदबाज या बल्लेबाज नहीं कर पाया था। कुंबले ने इस दौरे में 4 टेस्ट मैचों में 23 विकेट झटके थे। इनमें से 3 मैच ड्रॉ रहे थे, जबकि अंतिम मैच भारत ने 49 रन से जीत लिया। किंग्सटन में खेले गए इस मैच में 269 रनों का पीछा करते हुए इंडीज की पारी 219 रनों पर सिमट गई थी। कुंबले ने 78 रन देकर 6 विकेट चटकाए थे।

बने कप्तान, पाक को 28 वर्ष बाद भारत में हराया
अनिल कुंबले को 2007 में टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। उनके सामने पाकिस्तान की टीम थी, जिसके खिलाफ हम अपने देश में ही सीरीज में नहीं जीत पाए थे। नवंबर 2007 में खेली गई इस सीरीज में कुंबले ने कप्तानी योगदान देते हुए 3 मैचों में 18 विकेट चटकाए। भारत ने पहला मैच 6 विकेट से जीता था, जबकि अन्य दो मुकाबले ड्रॉ रहे। कुंबले ने पहले मैच में कुल 7 विकेट लिए थे। इस प्रकार भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जमीन पर 28 वर्षों बाद टेस्ट सीरीज जीत ली।


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