IND VS SL: ...पर इन 'चार बड़ी शर्मिंदगियों' से बचा लिया महेंद्र सिंह धोनी ने!

रोहित शर्मा ने शनिवार तक सपने में भी नहीं सोचा होगा कि श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे में कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो न केवल उनके बल्कि टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन सकता है, लेकिन धोनी के रवैये ने सबसे बड़ी ही नहीं, बल्कि चार बड़ी शर्मिंदगियों से टीम इंडिया को बचा दिया.

IND VS SL: ...पर इन 'चार बड़ी शर्मिंदगियों' से बचा लिया महेंद्र सिंह धोनी ने!

महेंद्र सिंह धोनी का फाइल फोटो

खास बातें

  • शारजाह में 2000 में महज 54 पर ढेर हुआ था भारत
  • 1981 में ऑस्ट्रेलिया में सिडनी में बनाए थे 63 रन
  • 1986 में कानपुर में 78 ..और 1978 में सियालकोट में 79 रन
नई दिल्ली:

रोहित शर्मा ने शनिवार तक सपने में भी नहीं सोचा होगा कि श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे में कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो न केवल उनके बल्कि टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन सकता है. वास्तव में एक बार को तो साफ लगने लगा था कि टीम इंडिया अपने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा कलंक झेलने जा रही है. लेकिन पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कुलदीप यादव के सहयोग से टीम इंडिया को सबसे बड़ी ही नहीं, बल्कि कुल 'चार बड़ी शर्मिंदगियों' से बचा लिया. भले ही धर्मशाला में टीम इंडिया बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रही, लेकिन इन चार बड़ी शर्मिंदगियों सें बच पाना करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया. 

आपको बता दें कि टीम इंडिया को अपनी सबसे बड़ी शर्मिंदगी सौरव गांगुली की कप्तानी में झेलनी पड़ी थी. तब 29 अक्टूबर साल 2000 के दिन भी भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ शारजाह मैदान पर उतरी थी. श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 299 रन बनाए थे जिसमें सलामी आतिशी बल्लेबाज जयसूर्या ने 189 रन की पारी खेली थी. जवाब में भारतीय टीम 26.3 ओवरों में 54 रन पर ही ढेर हो गई थी. रोबिन सिंह ने सबसे ज्यादा 11 रन बनाए थे. 


इससे बाद भारत को दूसरी सबसे बड़ी शर्मिंदगी ऑस्ट्रेलिया में झेलनी पड़ी. तब 8 जनवरी 1981 को भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में सिडनी में 63 रन पर ढेर हो गई थी. लेकिन धोनी और कुलदीप यादव ने भारत को इस दूसरी बड़ी  शर्मिंदगी से भी बचा लिया. पर इसके बावजूद दो और बड़ी शर्मिंदगी झेलने का खतरा अभी भी रोहित के रणबांकुरों पर बराबर बना हुआ था. इन शर्मिंदगियों का खतरा तब और बढ़ गया, जब कुलदीप यादव भी 19 रन बनाकर 70 के योग पर ही आउट हो गए. और यहां भी दो शर्मिंदगियां अभी भी बची हुई थीं. 

 
ये दोनों शर्मिंदगियां साल 1986 और 1978 में आयीं. तीसरी शर्मिंदगी के तहत भारत 24  दिसम्बर 1986 को श्रीलंका के खिलाफ कानपुर में 78 पर ही ढेर हो गया था. यह अपनी जमीन पर अभी भी भारत का वनडे में सबसे कम स्कोर है, तो वहीं साल 1978 में भारतीय टीम 13 अक्टूबर को सियालकोट में पाकिस्तान के खिलाफ 79 रन पर आउट हो गई थी. लेकिन एक समय 54 से पहले ढेर होती दिखाई पड़ रहे रोहित के रणबांकुरे धोनी के रवयै के कारण सबसे बड़ी ही नहीं, बल्कि चारों शर्मिंदगियों से साफ बच गए.
वास्तव में, एक समय 29 रन पर सात विकेट गंवाकर किसी भी टीम के लिए अपने चार सबसे कम स्कोर को पीछे छोड़ देना कोई आसाम काम नहीं है क्योंकि पुछल्ले आउट होने में समय नहीं लगाते, लेकिन पूर्व कप्तान ने सबसे आड़े समय में अपने अनुभव का परिचय देते हुए टीम इंडिया को चार बड़ी शर्मिंदगियों से बचा लिया. 
 

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