चाचा वसीम जाफर नहीं, वीरेंद्र सहवाग की मदद से किया अरमान ने ' बड़ा धमाका'

अरमान ने कहा कि मैं वीरू भाई से अपने प्रति इतनी उम्मीद नहीं कर रहा था. जब आप चोटिल होते हैं, तो कुछ लोगों को छोड़कर कोई आपके लिए चिंता नहीं करता. यह उनका बड़प्पन है

चाचा वसीम जाफर नहीं, वीरेंद्र सहवाग की मदद से किया अरमान ने ' बड़ा धमाका'

अरमान जाफर

खास बातें

  • साल 2010 में स्कूली क्रिकेट में खेली थी 498 रन की पारी
  • भारतीय अंडर-19 टीम के सदस्य रह चुके हैं अरमान
  • मुंबई के लिए खेले महज 3 ही रणजी ट्रॉफी मैच
नई दिल्ली:

अगर आप मुंबई क्रिकेट में जूनियर खिलाड़ियों की चर्चा करेंगे, तो यह तीन खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द सिमटकर रह जाती है. पृथ्वी शॉ, सर्फराज खान और भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर के भतीजे अरमान जाफर के आस-पास. हालांकि, इन तीनों में पृथ्वी शॉ ने बाकी दो को मीलों पीछे छोड़ दिया है, लेकिन अरमान जाफर को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं है.अरहमान जाफर ने कहा कि वह इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देते और वह अपना काम कर रहे हैं. और वास्तव में काम फिर से बहुत ही बखूबी अंदाज में किया है अरमान जाफर ने. दो दिन पहले ही अरमान जाफर ने सीके नायुडू ट्रॉफी (अंडर-23) में ऐसा बड़ा धमाका किया कि उनकी चर्चा जोर-शोर से हो रही है. 


लेकिन कुछ समय पहले तक हालात बहुत ही मुश्किल थे. बता दें कि अरमान जाफर ने अपने प्रथण श्रेणी क्रिकेट करियर का आगाज साल 2016 में किया था. लेकिन तब से लेकर अब तक वह मुंबई के लिए सिर्फ तीन ही रणजी ट्रॉफी मैच खेले. सिर्फ तीन मैच खेलने को लेकर वजह यह भी रही कि इन मैचों में अरमान सिर्फ 7.33 का ही औसत निकाल सके. लेकिन पिछले साल उन पर घुटने की चोट की ऐसी मार पड़ी कि अरमान को क्रिकेट से करीब 15 महीने का वनवास झेलना पड़ा. एक बार को लगा सबकुछ खत्म. कहीं से भी कोई मदद नहीं. चाचा वसीम जाफर की तरफ से भी नहीं. और ऐसे में वीरेंद्र सहवाग अरमान के लिए मानो कोई 'देवदूत' बनकर आए.

अरमान कहते हैं कि हाल ही में वीरू भाई टी20 क्रिकेट के प्रमोशन के लिए मुंबई आए हुए थे. सहवाग मुझे किंग्स इलेवन पंजाब के दिनों से ही जानते थे. उन्होंने मुझसे मेरी क्रिकेट के बारे में सवाल किया, तो मैंने बताया कि घुटने की चोट से साल से ज्यादा समय खराब हो गया है. इस पर वीरू भाई ने कहा कि यहां क्या कर रहा है, तुरंत एनसीए (नेशनल क्रिकेट अकादमी) जा. सहवाग ने मेरे लिए खुद एनसीए दो बार फोन कर मेरी मदद करने को कहा. वहीं उन्होंने मुंबई क्रिकेट एसोसिशन के सचिव पीवी शेट्टी को फोन कर मेरे बेंगलुरू मे ठहरने का इंतजाम करने को कहा. 

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अरमान ने कहा कि मैं वीरू भाई से अपने प्रति इतनी उम्मीद नहीं कर रहा था. जब आप चोटिल होते हैं, तो कुछ लोगों को छोड़कर कोई आपके लिए चिंता नहीं करता. यह उनका बड़प्पन है. मेरे एनसीसी पहुंचने से पहले ही वीरू भाई वहां दो बार फोन करके पूछ चुके थे कि मैं एनसीए पहुंचा या नहीं. वहीं, शेट्टी सर ने मेरे फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करते हुए मेरे बेंगलुरु में ठहरने की व्यवस्था की. वीरू भाई ने एनसीए के फिजियो आशीष कौशिक को फोन कर खास तौर पर मेरे ऊपर ध्यान देने को कहा. और यह इसी का असर था कि अरमान जाफर ने कर डाला 'धमाका'

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सिर्फ बीस साल के अरमान जाफर ने अंडर-23 मुकाबले में सौराष्ट्र के खिलाफ 367 गेंदों पर 26 चौकों और दस छक्कों से नाबाद 300 रन की पारी खेली. वास्तव में यह अरमान के पुनर्जन्म जैसा ही था! बता दें कि अरमान जाफर साल 2010 में स्कूली क्रिकेट में 498 रन की पारी खेलकर सुर्खियों में आए थे. इसके बाद उन्होंने कूच बिहार ट्रॉफी में लगातार दो दोहरे शतक जड़े थे. 
 

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