यह ख़बर 03 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अब लिएंडर और महेश पर से फोकस हटाना होगा : सोमदेव

फाइल फोटो

इंदौर:

लिएंडर पेस और महेश भूपति के अनुभव के बगैर डेविस कप मुकाबले में चीनी ताइपै पर भारत की जीत के मद्देनजर देश के शीर्ष एकल टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन का मानना है कि अब इन दोनों अनुभवी खिलाड़ियों पर से फोकस हटाकर युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ।

भारत ने डेविस कप एशिया ओशियाना ग्रुप एक में चीनी ताइपै को 5-0 से हराया। सोमदेव ने कहा कि टीम हमेशा पेस और भूपति की ऋणी रहेगी, लेकिन अब आगे देखने का समय है।

एटीपी रैंकिंग में 103वें स्थान पर काबिज सोमदेव ने इंटरव्यू में राष्ट्रीय महासंघ के खिलाफ खिलाड़ियों की बगावत में अपनी भूमिका और भारतीय टेनिस खिलाड़ी संघ के गठन के बारे में भी बात की।

उन्होंने कहा, अब लिएंडर और महेश पर से फोकस हटाना होगा। युवाओं पर फोकस करने की जरूरत है, नए कप्तान पर करने की जरूरत है, क्योंकि यही भविष्य है। हम एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। लिएंडर और महेश ने जो कुछ हमें दिया, हम उनके आभारी हैं, लेकिन अब आगे बढ़ना होगा। हमें उपलब्ध खिलाड़ियों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। अपनी शैली की आलोचना पर उन्होंने कहा कि अपने खेल को लेकर वह अडिग हैं और बदलने वाले नहीं।

सोमदेव ने कहा, जब हालात आपके अनुकूल नहीं होते तो सब कुछ खिलाफ हो जाता है और जब आपके अनुकूल होते हैं तो सब अच्छा लगता है। टेनिस का सत्र लंबा होता है और करियर भी। ऐसे में हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि मैं अपने आत्मविश्वास के दम पर ही यहां तक पहुंचा हूं। उन्होंने कहा, जब आत्मविश्वास कम हो जाता है और फिर छोटी-छोटी बातें सामने आती हैं, मसलन डिफेंस सही नहीं है वगैरह। लेकिन जब आत्मविश्वास होता है तो आपके सवाल भी बदल जाते हैं। मुझे लगता है कि हालात बदलने में कुछ मैचों का फर्क होता है। इसीलिए मेरा फोकस अपनी फिटनेस और खेल पर है। यह पूछने पर कि क्या वह अपने खेल को और आक्रामक नहीं बनाना चाहते, उन्होंने कहा कि लगातार सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है।

सोमदेव ने कहा, लगातार सुधार की इच्छा होना जरूरी है। मुझे अपने रिटर्न पर और आक्रामक होना होगा, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि मेरी पहचान मेरे खेल के कारण ही है। थोड़ा बहुत बदलाव संभव है मसलन एक मैच में दस प्रतिशत, लेकिन जहां 150 प्रतिशत मैं अपने हिसाब से ही खेलूंगा। यह पूछने पर कि क्या खिलाड़ी के लिए मानसिकता बदलना कठिन होता है, उन्होंने 'हां' में जवाब दिया।

उन्होंने कहा, यह बहुत कठिन है। मानसिक तौर पर यह सबसे कठिन काम है। वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी से मानसिकता बदलकर राहुल द्रविड़ की तरह खेलने को कहा जाए या द्रविड़ से कहें कि वह सहवाग की तरह खेले। यह बहुत कठिन है।

चेन्नई ओपन में रामकुमार रामानाथन के हाथों मिली हार के बारे में सोमदेव ने कहा कि युवाओं को उनके अच्छे प्रदर्शन का श्रेय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, वह सत्र का मेरा पहला मैच था जबकि वह नवंबर दिसंबर में 20 मैच खेल चुका था। वह अधिक तैयारी के साथ आया था और युवाओं को उनके अच्छे प्रदर्शन का श्रेय मिलना चाहिए। मैं उस हार को लेकर चिंतित नहीं हूं, लेकिन भविष्य में इसका दोहराव नहीं चाहूंगा। खिलाड़ियों के संघ में मतभेदों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि संघ ने एक साल में काफी काम किया है ।

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उन्होंने कहा, हमने हैदराबाद में शिविर लगाया। खिलाड़ियों के लिए 20 से 25 लाख रुपये एकत्र किए। बंबई में एक टूर्नामेंट कराया और अब अगले आठ टूर्नामेंटों के लिए सभी खिलाड़ियों को फिजियो मिलेगा। एआईटीए से हमारे संबंध अच्छे हैं। मैं बहुत खुश हूं कि हमने खिलाड़ियों का संघ बनाया ताकि हम सौ फीसदी एआईटीए पर निर्भर ना रहें।