आज के दिन कप्तान के रूप में सचिन तेंदुलकर ने जो किया था वह दोबारा नहीं कर पाए

आज के दिन कप्तान के रूप में सचिन तेंदुलकर ने जो किया था वह दोबारा नहीं कर पाए

वीरेंद्र सहवाग के साथ सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

भारत के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाज के रूप में जो रिकॉर्ड कायम किए शायद ही उसे कोई तोड़ पाए. तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 200 टेस्ट मैच खेलने के रिकॉर्ड के साथ-साथ टेस्ट में सबसे ज्यादा 15,921 रन बनाने का रिकॉर्ड भी बनाया है. टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 51 शतक और 68 अर्द्धशतक मारने का रिकॉर्ड भी सचिन तेंदुलकर के नाम है. सिर्फ टेस्ट नहीं एक-दिवसीय मैचों में भी सचिन ने सबसे ज्यादा 18,426 रन बनाए, सबसे ज्यादा 49 शतक और 96 अर्द्धशतक भी उन्हीं के नाम हैं.

कप्तान के रूप में पहले मैच में शतक, लेकिन भारत मैच हारा
साल 1996 में सिंगर वर्ल्ड सीरीज के लिए सचिन तेंदुलकर को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. इस सीरीज में श्रीलंका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और ज़िम्बाब्वे ने भाग लिया. कप्तान के रूप में सचिन ने अपना पहला मैच 28 अगस्त 1996 को खेला था और इस मैच में उन्होंने शतक ज़रूर मारा था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ इस मैच में भारत को 9 विकेट से हार मिली थी.

इस सीरीज में भारत ने तीन मैच खेले थे जिनमें से केवल एक में जीत हासिल की थी. दो हार की  वजह से भारत को सीरीज से बाहर होना पड़ा था. यानी सचिन की कप्तानी में भारत अपनी पहली सीरीज में फाइनल तक नहीं पहुंच पाया था. फिर उनकी कप्तानी में पाकिस्तान के खिलाफ पांच एक-दिवसीय मैचों की सीरीज खेलने के लिए भारत ने कनाडा का दौरा किया. यह सीरीज भी भारत 3-2 से हार गया था.

टाइटन कप में ऐसा क्या हुआ जो सचिन की कप्तानी में दोबारा नहीं हो पाया
सचिन की कप्तानी को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे. फिर भारत, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच भारत में टाइटन कप हुआ. यह सचिन के लिए परीक्षा की घड़ी थी. सचिन की कप्तानी में यह भारत में पहली सीरीज थी. भारत अपना पहला मैच साउथ अफ्रीका से 47 रन से हार गया. फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने दूसरे मैच में सिर्फ दो विकेट से जीत हासिल कर पाया था, वह भी जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले की वजह से ही संभव हुआ था. इस मैच में भारत ने 216 रन का लक्ष्य का पीछा करते हुए 164 पर ही अपने आठ विकेट गवां दिए थे, लेकिन श्रीनाथ और कुंबले ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए भारत को जीत दिलवाई थी. दोनों खिलाड़ियों के बीच 52 रन की साझेदारी हुई थी. इस मैच में सचिन ने 88 रन बनाए थे, लेकिन दूसरे बल्लेबाज विफल रहे थे.

सचिन के कप्तानी में जब भारत ने अपना पहला कप जीता  
फिर भारत का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारत ने अपने अगले दो मैच गंवा दिए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत ने दो मैच खेले जिनमें से एक बारिश की वजह से बाधित हो गया था और दूसरे मैच में भारत को जीत मिली थी. इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने सबसे खराब प्रदर्शन किया था और एक भी मैच नहीं जीत पाया था.  

इस तरह भारत और साउथ अफ्रीका फाइनल में पहुंचे थे. सचिन की कप्तानी में यह भारत का पहला फाइनल मैच था. 6 नवंबर 1996 को मुम्बई के वानखड़े स्टेडियम में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच फाइनल मैच शुरू हुआ. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने सिर्फ 220 रन बनाए. भारत की तरफ से कप्तान सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 66 रन बनाए थे. लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका की टीम सिर्फ 185 रन पर ऑल आउट हो गई थी. भारत की तरफ से लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए चार विकेट हासिल किए थे. सचिन की कप्तानी में भारत ने टाइटन कप जीता था.

सचिन की कप्तानी में ऐसा दोबारा नहीं हो पाया  
सचिन की कप्तानी में यह भारत का पहला और आखिरी कप था जिसमें दो से ज्यादा टीमों ने भाग लिया हो. इसके बाद उनकी कप्तानी में भारत कभी कप नहीं जीत पाया जिसमें दो से ज्यादा टीम हिस्सा लिए हो. जनवरी 1997 में भारत, साउथ अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे के बीच हुई ट्राई-सीरीज में भारत फाइनल में ज़रूर पहुंचा था लेकिन 13 फरवरी को साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया फाइनल मैच 17 रन से हार गया था.

फिर मई, 1997 में भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के बीच हुई पेप्सी इंडिपेंडेंस कप में भारत सिर्फ एक मैच जीत पाया था और फाइनल तक का सफर नहीं तय कर पाया था. जुलाई 1997 में श्रीलंका में हुई एशिया कप में भारत सचिन की कप्तानी में फाइनल में पहुंचा लेकिन 26 जुलाई को कोलंबो में खेले गए फाइनल मैच में श्रीलंका से 8 विकेट से हार गया. फिर दिसम्बर 1997 अकाई सिंगर चैंपियंस ट्रॉफी यूनाइटेड अरब एमिरेट में खेला गया था जिसमे भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज ने हिस्सा लिया था. सचिन की कप्तानी में भारत इस सीरीज में एक भी मैच नहीं जीत पाया था.

सचिन को कप्तानी से हटाया गया  
इस सीरीज के बाद सचिन को कप्तानी से हटा दिया गया और मोहम्मद अजहरुद्दीन को कप्तानी का ज़िम्मा दिया गया. फिर अजहरुद्दीन की कप्तानी में जनवरी 1998 को बांग्लादेश में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप खेला गया जिसमें भारत विजयी रहा. अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत ने लगातार कोका-कोला कप, कोका-कोला ट्राई सीरीज और और सिंगर अकाई नीदहस ट्रॉफी में जीत दर्ज की.

फिर सचिन की वापसी लेकिन फिर ख़राब प्रदर्शन
1999 में इंग्लैंड में खेले गए आइसीसी वर्ल्ड में अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाया था. सेमीफाइनल तक का सफर भी नहीं तय कर पाया था. आईसीसी वर्ल्ड कप के बाद सचिन फिर भारत के कप्तान बने, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अगस्त 1999 में भारत, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई आइवा कप में सचिन की कप्तानी में भारत ने चार मैच खेलते हुए सिर्फ एक मैच में जीत दर्ज की और फाइनल में पहुंचने से वंचित हो गया था.

सचिन की कप्तानी में भारत कोका-कोला सिंगापुर चैलेंज, कार्लटन एंड यूनाइटेड सीरीज हार गया. इसके बाद सचिन को कप्तानी से हटा दिया गया और सौरव गांगुली को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. इसके बाद सचिन 2012 तक एकदिवसीय मैच खेलते रहे लेकिन टीम इंडिया के दोबारा कप्तान नहीं बने.

सचिन की कप्तानी में भारत का प्रदर्शन
सचिन की कप्तानी में टीम कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. खासकर एकदिवसीय मैचों में कप्तान के रूप में उनका खुद का प्रदर्शन भी इतना अच्छा नहीं रहा. कप्तान के रूप में एकदिवसीय मैचों में बल्लेबाज के रूप में सचिन का औसत 37.75 है जबकि बिना कप्तान के रूप में उनका औसत 46.16 है. कप्तान के रूप में 73 मैच खेलते हुए सचिन ने 2454 रन बनाए हैं जिसमें सिर्फ छह शतक और 12 अर्द्धशतक शामिल हैं. सचिन की कप्तानी में भारत ने 73 मैच खेलते हुए सिर्फ 23 मैच जीत हासिल की जबकि 43 मैचों में हार हुई थी, एक मैच टाई हुआ था और छह मैचों में कोई नतीजा नहीं आया था. इस तरह सचिन की कप्तानी में भारत की जीत का प्रतिशत 35.07 है जो बहुत कम है.


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