खास बातें
- इस 'सबसे बड़े धमाके' के क्या कहने!
- जब क्रिकेटप्रेमियों ने दबा ली दांतों तले उंगली!
- बल्ले का गजब का वार, गेंदबाज हुए तार-तार!
नई दिल्ली: यूं तो भारतीय क्रिकेटरों ने एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड बनाए हैं, लेकिन एक बल्लेबाज ने ऐसा बड़ा धमाका किया कि पूरी दुनिया ने दांतों तले उंगली दबा ली. एक ऐसा रिकॉर्ड जो कई सालों के भीतर भी नहीं बनता. एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे सोचकर नहीं बनाया जा सकता. और कुछ ऐसा ही हुआ करीब सात साल पहले 6 फरवरी 2010 के दिन. वास्तव में इस रिकॉर्ड को तोड़ना किसी भी दिग्गज बल्लेबाज के लिए एवरेस्ट पर चढ़ने से कम साबित नहीं होगा. और दावे के साथ यह भी नहीं कहा जा सकता कि यह रिकॉर्ड कब टूटेगा, या इसे कौन तोड़ेगा क्योंकि ये रिकॉर्ड दिन विशेष पर खुद ही खद बन जाते हैं. यह कारनामा किया आतिशी भारतीय बल्लेबाज और इरफान पठान के बड़े भाई यूसुफ पठान ने. आज शुक्रवार को यूसुफ पठान का जन्मदिन है. वह 34 साल के हो गए हैं. उनके जन्मदिन के मौके पर जानिए उनके द्वारा किए गए प्रथम श्रेणी क्रिकेट के सबसे बड़े धमाके के बारे में.
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साल 2010 में हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम (उप्पल) में 2 से 6 फरवरी के बीच दक्षिण क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के बीच दलीप ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला खेला गया. दक्षिण क्षेत्र ने पहली पारी में 400 रन बनाए. जवाब में पश्चिम क्षेत्र की टीम सिर्फ 251 रनों पर ढेर हो गई. दक्षिण क्षेत्र ने अपनी दूसरी पारी नौ विकेट पर 386 रन बनाकर घोषित कर दी और पश्चिम क्षेत्र के सामने खिताब जीतने के लिए 536 रनों का असंभव सरीखा लक्ष्य रखा. हर क्रिकेट पंडित ने पश्चिम क्षेत्र को खिताब से बाहर कर दिया. लेकिन यूसुफ पठान की करिश्माई पारी ने दक्षिण क्षेत्र के सपने को चूर-चूर करते हुए उससे खिताब छीन लिया. 536 रन का पीछा करते हुए पश्चिम क्षेत्र के पांच विकेट 294 रन पर गिर चुके थे. लेकिन एक छोर पर यूसुफ पठान का बल्ला किसी लोहार के हथौड़े की तरह लगातार दक्षिण क्षेत्र के गेंदबाजों को लगातार कूटता रहा. और जब आखिरी दिन (6 फरवरी) तीन विकेट बाकी रहते पश्चिम क्षेत्र ने दलीप ट्रॉफी का खिताब अपनी झोली में डाला, तब तक यूसुफ पठान 'प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा धमाका' कर चुके थे.
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यूसुफ पठान ने बिना आउट हुए सिर्फ 190 गेंदों पर 210 रन बना डाले. उन्होंने पारी में 19 चौके और 10 छक्के लगाए. जब यूसुफ 144 रन पर थे, तो उनकी मांसपेशियों में खिंचाव आ गया. तब पश्चिम क्षेत्र खिताब से 80 रन दूर था. ऐसे में यूसुफ ने रनर के रूप में छोटे भाई इरफान पठान की सेवा ली. इसके बाद उनका दक्षिण क्षेत्र के गेंदबाजों पर 'गुस्सा' और ज्यादा बढ़ गया. और जल्द ही उन्होंने नाबाद दोहरा शतक ठोकते हुए अपनी टीम को दिलीप ट्रॉफी खिताब से नवाज दिया. लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा धमाका उनकी आतिशी पारी नहीं, बल्कि कुछ और ही था. दरअसल यह धमाका था प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े स्कोर (536) को सफलतापूर्वक चेज करना. इससे पहले यह रिकॉर्ड श्रीलंका की घरेलू क्रिकेट में बना था. तब साल 2003-04 में सेंट्रल प्रोविंस और साउदर्न प्रोविंस के बीच खेले गए मुकाबले में नौ विकेट पर सफलतापूर्वक 513 रन चेज किए गए थे. लेकिन यूसुफ के करिश्मे से श्रीलंकाई घरेलू क्रिकेट में बना यह रिकॉर्ड टूट ही गया.
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हालांकि,यूसुफ पठान को अपनी पारी में दक्षिण क्षेत्र के फील्डरों ने पांच जीवनदान दिए, लेकिन दिन की समाप्ति और रिकॉर्डबुक के आंकड़ों में जीवनदान का कोई कॉलम नहीं होता और न ही इनका ज्यादा महत्व होता है. दिन की समाप्ति पर जो बात मायने रखती है, वह है रिकॉर्ड.और इस नाबाद दोहरे शतक की बदौलत यूसुफ फिर से भारतीय वनडे टीम में भी जगह बनाने में कामयाब रहे थे.