क्रिकेट वर्ल्डकप 2015 : मुश्किलें टीम इंडिया की...

टीम इंडिया का फाइल चित्र

नई दिल्ली:

क्रिकेट वर्ल्डकप शुरू होने में अब करीब दो महीने रह गए हैं। पूर्व आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इयान चैपल की राय में वर्ल्डकप के तीन सबसे बड़े दावेदार ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और भारत हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की तेज़ पिचों पर अपना खिताब बचाने में कामयाब हो पाएगी।

तेज़ पिचों पर मुश्किल...
वर्ल्डकप में टीम इंडिया में ज़्यादातर खिलाड़ी नए होंगे, और सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना ने ही 200 से ज़्यादा वन-डे खेले हैं। ऑस्ट्रेलिया की पिचों में उछाल तो होता ही है, गेंद हवा में स्विंग भी करती है, सो, ऐसे में कम अनुभवी भारतीय बल्लेबाज़ों के सामने शॉर्ट पिच गेंदें खेलना बड़ी चुनौती होगी। दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड के दौरे पर टीम की यह कमज़ोरी सामने आ गई थी, सो, डेल स्टेन, मिशेल जॉनसन और मोर्नी मॉर्केल जैसे गेंदबाज़ों के सामने वर्ल्डकप खिताब बचाना और भी मुश्किल हो सकता है।

ऑलराउंडरों की कमी...
वन-डे इंटरनेशनल मैचों में किसी भी टीम की कामयाबी बहुत हद तक ऑलराउंडरों पर निर्भर करती है, और इस बार यह टीम इंडिया की सबसे बड़ी कमज़ोरी हो सकती है। जब भारत ने पिछला वर्ल्डकप जीता था, तो उसमें सबसे अहम योगदान रहा था युवराज सिंह के ऑलराउंड प्रदर्शन का, लेकिन आज सबसे बड़ा सवाल है कि क्या युवराज को इस वर्ल्डकप में मौका मिलेगा। रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन का खेलना तो तय नज़र आ रहा है, लेकिन स्पिन ऑलराउंडर वहां की पिचों पर कहां तक कामयाब होंगे, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। दो नई गेंदों के इस्तेमाल के कारण वैसे भी स्पिनरों की धार कम होती जा रही है।

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अनुभवहीन गेंदबाज़ी...
वर्ल्डकप में भारतीय आक्रमण का दारोमदार तेज़ गेंदबाज़ों पर रहेगा, लेकिन इशांत शर्मा को छोड़ किसी भी गेंदबाज़ को ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर ज़्यादा अनुभव नहीं हैं। वर्ल्डकप जैसे टूर्नामेंट में कई बार दबाव में कम अनुभवी खिलाड़ी की लाइन और लेंथ बिगड़ जाती है, और वैसे भी, भारतीय गेंदबाज़ अक्सर डेथ ओवरों में नाकाम रहते हैं।