
दिल्ली नगर निगम चुनाव में पूर्वांचल के मूल निवासी दिल्ली वासियों को खास तरजीह दी जा रही है.
दिल्ली के आगामी निगम चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने पूर्वांचल के मूल निवासियों को टिकट देने में तरजीह दी है. दिल्ली में लगभग 40% वोट पूर्वांचल के मूल निवासी दिल्ली वासियों के हैं. यही कारण है कि सभी पार्टियां उनके महत्व को समझते हुए उन्हें लुभाने में जुटी हैं.
सन 2000 में झारखंड के गढ़वा से दिल्ली आए विपिन बिहारी को बीजेपी ने पटपड़गंज क्षेत्र से टिकट दिया है. बीजेपी ने विपिन बिहारी को मिलाकर 272 सीटों में से कुल 38 सीटों पर टिकट पूर्वांचलियों को दिए हैं. कहीं न कहीं मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी का प्रमुख बनाकर बीजेपी ने अपना दांवा पूर्वांचलियों पर मजबूती से ठोका है. टिकट बंटवारे से पहले बीजेपी ने दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की तकरीबन 200 मीटिंगें कीं. इसके बाद ही पार्टी ने पिछली बार के 12 टिकटों की तुलना में 38 टिकट पूर्वांचलियों को दिए.
दिल्ली बीजेपी प्रमुख मनोज तिवारी का कहना है कि "अब सब बदल रहा है. पूर्वांचल से आने वाले भी बढ़े हैं. इसलिए हमने भी टिकट देने में उनकी भागीदारी बढ़ाई है."
सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा कांग्रेस ने कुल 54 पूर्वांचलियों को टिकट देकर अपना दावा मजबूती से पेश किया है. कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी का कहना है कि "कांग्रेस पहले भी महाबल मिश्रा जैसे पूर्वांचल से आए नेताओं को टिकट देकर बताती रही है कि कांग्रेस पूर्वांचल को कितनी तरजीह देती है और इस बार भी सबसे ज्यादा टिकट हमने दिए हैं."
उधर, आम आदमी पार्टी का कहना है बीजेपी कांग्रेस स्टंटबाजी ज्यादा करती हैं और काम उनके विधायक और मंत्री ही लोगों के बीच जाकर करते हैं. आम आदमी पार्टी ने कुल 36 पूर्वांचलियों को टिकट दिए हैं. आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रभारी दिलीप पांडे का कहना है कि "मनोज तिवारी मीडिया में आने के लिए झुग्गियों में जाकर सोते थे पर हमारे विधायक और मंत्री रोज वहीं झुग्गियों में रहते हैं और पूर्वांचलियों का काम करते हैं."
व्यापारियों और पंजाबियों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी ने भी यह बात समझकर अभिनेता रविकिशन को अपना स्टार प्रचारक बनाया है. लेकिन सवाल यही है कि पूर्वांचल से आने वाले लोग क्या सिर्फ यह देखकर वोट देंगे कि कौन सी पार्टी पूर्वांचलियों की ज़्यादा हिमायती है?