
फाइल फोटो
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में ईवीएम की खराबी के चलते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अजय माकन ने सवाल उठाए हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने कैसे ईवीएम खरीद ली थी. लेकिन जब एनडीटीवी ने पड़ताल कि तो पाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए 2010 में चुनाव आयोग से ईवीएम लेने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त विश्वविद्यालय को मशीन देने से मना कर दिया था. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने एनडीटीवी को बताया कि 2010 या 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव आयोग से मशीनें लेना चाहता था लेकिन चुनाव आयोग ने ईवीएम देने से मना कर दिया था. नवीन चावला ने सुझाव दिया था कि ईवीएम मशीन दो कंपनियां ईसीआईएल और बीआईएल बनाती हैं जो कि सार्जनिक उपक्रम की कंपनियां हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय को इन कंपनियों से बात करनी चाहिए.
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इस बारे में जब एनडीटीवी ने पड़ताल की तो पता चला कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने करीब 10 से 12 साल पहले ये ईवीएम ईसीआईएल कंपनी से खरीदी थी. उल्लेखनीय है कि ईवीएम मशीन दो पब्लिक प्राइवेट कंपनियां बीईएल और ईसीआईएल ही बनाती हैं. ईवीएम कोई भी प्राइवेट कंपनी नहीं बनाती है.
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वहीं ईसीआईएल के एक अधिकारी ने एनडीटीवी से अनौपचारिक बात करते कहा कि 10 से 12 साल पहले ईवीएम मशीन दिल्ली विश्वविद्यालय ने खरीदी थी. उस वक्त ईवीएम खरीदने के लिए किसी तरह की इजाजत लेने की जरुरत नहीं होती थी लेकिन 2014-2015 में नए नियम के मुताबिक अब चुनाव आयोग की इजाजत से ही ईवीएम खरीदी जा सकती है.
हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय ईवीएम पर कोई बात नहीं करना चाहता है लेकिन सूत्रों ने बताया कि मशीन खासी पुरानी हो चुकी है इसी के चलते स्क्रीन डिस्प्ले खराब होना या दस नंबर बटन को हटाने में कहीं लापरवाही हुई इसके चलते अनजाने में छात्रों ने दस नंबर के बटन को दबा दिया था. इस नंबर पर 40 वोट पड़ गए थे जिस पर एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि ईवीएम छेड़छाड़ की गई है.