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कब है अचला सप्तमी ?
इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है. इसलिए इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं. इस बार सूर्य की रथ सप्तमी 19 फरवरी को है.
अचला सप्तमी की तिथि और शुभ मुहुर्त
अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, सूर्य सप्तमी की तिथि – 19 फरवरी 2021
सप्तमी तिथि प्रारम्भ – 18 फरवरी 2021 को सुबह 08 बजकर 17 मिनट से
सप्तमी तिथि समाप्त – 19 फरवरी 2021 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक
क्यों रखा जाता है अचला सप्तमी का व्रत ?
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो, शत्रु क्षेत्री हो या कमजोर हो उन्हें इस दिन व्रत करने से लाभ मिलता है. जिन लोगों का स्वास्थ्य लगातार खराब रहता हो, शिक्षा में लगातार बाधा आ रही हो या आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर पा रहे हों, उनके लिए भी इस दिन उपवास किया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो उनके लिए भी रथ सप्तमी का बड़ा महत्व है.
कैसे करें अचला सप्तमी व्रत की पूजा ?
-प्रातःकाल में स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.
-सूर्य और पितृ पुरुषों को जल अर्पित करें.
-घर के बाहर या मध्य में सात रंगों की रंगोली (चौक) बनाएं. मध्य में चारमुखी दीपक रखएं.
चारों मुखों को प्रज्ज्वलित करें, लाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें.
-गायत्री मंत्र,या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें.
-जाप के उपरान्त गेंहू, गुड़, तिल, ताम्बे का बर्तन और लाल वस्त्र दान करें.
-इसके बाद घर के प्रमुख के साथ-साथ सभी लोग भोजन ग्रहण करें.
इस दिन सूर्यदेव की आराधना का मिलता है अक्षय फल
माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी मनाई जाती है. यह सभी सप्तमी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाती है. अचला सप्तमी का हिंदू धर्म में खास महत्व भी है. इसे सूर्य सप्तमी,रथ सप्तमी व अरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि यदि यह तिथि रविवार को पड़ती है तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. रविवार के दिन माघ शुक्ल सप्तमी पड़ती है, तो उसे अचला भानू सप्तमी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को सूर्य ने सबसे पहले विश्व को प्रकाशित किया था. इस कारण इसे इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जानते हैं.