अचला सप्तमी आज, जानिए इस दिन व्रत रखने का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज अचला सप्तमी है. माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है.

अचला सप्तमी आज, जानिए इस दिन व्रत रखने का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Achala Saptami 2021: आज अचला सप्तमी है.

नई दिल्ली:

Achala Saptami 2021:  आज अचला सप्तमी है. माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. यह सभी सप्तमी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. अचला सप्तमी का हिंदू धर्म में खास महत्व भी है. मान्यता है कि इस दिन कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है. अचला सप्तमी को रथ सप्तमी (Rath Saptami) और आरोग्य सप्तमी (Arogya Saptami) भी कहा जाता है. 

अचला सप्तमी की तिथि और शुभ मुहुर्त

सप्तमी तिथि प्रारम्भ – 18 फरवरी 2021 को सुबह 08 बजकर 17 मिनट से

सप्तमी तिथि समाप्त – 19 फरवरी 2021 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक


कैसे करें अचला सप्तमी व्रत की पूजा ?

-प्रातःकाल में स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.

-सूर्य और पितृ पुरुषों को जल अर्पित करें.

-घर के बाहर या मध्य में सात रंगों की रंगोली (चौक) बनाएं. मध्य में चारमुखी दीपक रखएं.

-चारों मुखों को प्रज्ज्वलित करें, लाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें.

-गायत्री मंत्र या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें.

-जाप के उपरान्त गेंहू, गुड़, तिल, ताम्बे का बर्तन और लाल वस्त्र दान करें.

-इसके बाद घर के प्रमुख के साथ-साथ सभी लोग भोजन ग्रहण करें.

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अचला सप्तमी के व्रत का महत्व
इस दिन उपवास, दान, स्नान और पूजा करने का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय के समय पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि पूजा-पाठ करने से सूर्यदेव व्यक्ति के जीवन को मान-सम्मान देते हैं और उच्च पद प्रदान करते हैं. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो, शत्रु क्षेत्री हो या कमजोर हो उन्हें इस दिन व्रत करने से लाभ मिलता है. जिन लोगों का स्वास्थ्य लगातार खराब रहता हो, शिक्षा में लगातार बाधा आ रही हो या आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर पा रहे हों, उनके लिए भी इस दिन उपवास किया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो उनके लिए भी रथ सप्तमी का बड़ा महत्व है.