12 अगस्त को है बकरीद, जानिए इस दिन क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी?
देखा ईद का चांद तो मांगी ये दुआ रब से, देदे तेरा साथ ईद का तोहफा समझ कर...ईद मुबारक
बाकी दिनों का हिसाब रहने दो, ये बताओं ईद पे तो मिलने आओगे ना...ईद मुबारक
ना हाथ दिया, न गले मिले, ना कुछ बात हुई, अब तुम ही बताओ ऐ साजन ये क़यामत हुई के ईद हुई...ईद मुबारक.
यूं तेरी चाहते संभाली हैं, जैसे ईदी हो मेरे बचपन की...ईद मुबारक
कोई कह दे उनसे जाकर की छत पर ना जाए, बेवजह शहर में ईद की तारीख बदल जाएगी...ईद मुबारक
साहिब-ए-अक़ल हो आप, एक मसला तो बताओं, मैंने रुख-ए-यार नहीं देखा क्या मेरी ईद हो गई ?? ईद मुबारक
मेरी तमन्ना तो ना थी तेरे बगैर ईद मनाने की, मगर, मजबूर को मजबूरियां, मजबूर कर देती है...ईद मुबारक
उधर से चांद तुम देखो, इधर से चांद हम देखे, निगाहें इस तरह टकराएं की दो दिलों की ईद हो जाएं...ईद मुबारक
ना किसी का दीदार हुआ, ना किसी के गले मिले, कैसी खामोश ईद थी, जो आई और चली गई...ईद मुबारक
मासूम से अरमानो की मासूम सी दुनिया, जो कर गए बर्बाद उन्हें ईद मुबारक...
तुझसे बिछड़े तो अब होश नहीं, कब चांद हुआ कब ईद हुई. ईद मुबारक...