Buddha Purnima 2020: आज है बुद्ध पूर्णिमा , जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्‍व

Buddha Purnima: हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था. महात्‍मा बुद्ध को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु का नौवां अवतार माना जाता है.

Buddha Purnima 2020: आज है बुद्ध पूर्णिमा , जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्‍व

Buddha Purnima 2020 Images: मान्‍यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्‍म हुआ था

नई दिल्ली:

Buddha Purnima 2020: आज बुद्ध पूर्णिमा है. बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) एक ऐसा त्‍योहार है, जिसे हिन्‍दू और बौद्ध दोनों धर्म के अनुयायी बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं. मान्‍यता है कि इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्‍थापक महात्‍मा बुद्ध (Mahatma Buddha) ने जन्‍म लिया था. वहीं, हिन्‍दू धर्म में बुद्ध (Buddha) को श्री हरि विष्‍णु का अवतार माना जाता है, इसलिए हिन्‍दुओं के लिए भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है.

गौतम बुद्ध (Gautama Buddha) के जन्‍मोत्‍सव के कारण बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) और 'वेसाक' (Vesak) उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. मान्‍यता है कि इसी दिन उनको बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) के नीचे ज्ञान की प्राप्‍ति हुई थी और यही उनका निर्वाण (Nirvana) दिवस भी है. इस दिन गंगा स्‍नान का भी विशेष महत्‍व है. हालांकि इस बार कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते लोग गंगा स्‍नान नहीं कर पाएंगे. ऐसे में आप घर पर रहकर ही बुद्ध पूर्णिमा की पूजा करें.

बुद्ध पूर्णिमा कब है
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा (Vaishakha Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है. 

बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त 
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि:
7 मई 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 मई 2020 को शाम 7 बजकर 44 मिनट से 
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 7 मई 2020 को शाम 04 बजकर 14 मिनट तक 

बुद्ध पूर्णिमा का महत्‍व 
हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था. महात्‍मा बुद्ध को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु का नौवां अवतार माना जाता है. इस पूर्णिमा को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्‍य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बुद्धत्‍व की प्राप्‍ति हुई थी. यही नहीं वैसाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्‍थान किया था. हिन्‍दुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं.  

बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्‍नान का है विशेष महत्‍व 
हिन्‍दू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित होती है. वैसे तो हर पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को अत्‍यंत लाभदायक माना जाता है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना-अलग ही महत्व है. इसका कारण यह बताया जाता है कि इस माह होने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है. कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है. हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते लोग गंगा स्‍नान नहीं कर पाएंगे. लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है. आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्‍नान कर सकते हैं.

बौद्ध धर्म के लोग कैसे मनाते हैं बुद्ध जयंती?
भगवान बुद्ध ही बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं. यह बुद्ध अनुयायियों के लिए काफी बड़ा त्यौहार है. इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं. अलग-अलग देशों में वहां के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. श्रीलंका के लोग इस दिन को 'वेसाक' (Vesak) उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है. इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है. दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं. इस दिन बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है. बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है. उसकी शाखाओं पर हार और रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं. जड़ों में दूध और सुगंधित पानी डाला जाता है. वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं. हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते बुद्ध जयंती से संबंधित सभी कार्यक्रमों को पहले ही रद्द किया जा चुका है. लेकिन लोग अपने-अपने घरों में पूरे उत्‍साह से बुद्ध जयंती को मनाएंगे.

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं
-
माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया. 
- मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई. 
- इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है. कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं. माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्‍न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है. 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करें
-
 सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें. 
- गंगा में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें.
- घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं.
- घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
- बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं. 
- गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें. 
- अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें. 
- रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या ना करें
-
बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस ना खाएं. 
- घर में किसी भी तरह का कलह ना करें
- किसी को भी अपशब्द ना कहें.
- झूठ बोलने से बचें.