Chaitra Navratri: भक्तों को पराक्रमी बनाती है मां 'चंद्रघंटा', उपासना करते वक्त ध्यान से पढ़ें ये मंत्र

चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी.

Chaitra Navratri: भक्तों को पराक्रमी बनाती है मां 'चंद्रघंटा', उपासना करते वक्त ध्यान से पढ़ें ये मंत्र

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा

नई दिल्ली:

चैत्र नवरात्रि के तीसरे तीन आज होगी मां चंद्रघंटा की पूजा. मान्यता है कि मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से भक्तों के कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं. उनमें सिंह की तरह पराक्रम आता है. मां चंद्रघंटा के नाम की कहानी है कि इनके माथे पर घंटे के आकार का आधा चांद बना है, इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहते हैं. इनका रूप सोने की तरह चमकीला होता है. हाथ दस होते हैं और सभी में शस्त्र और बाण पकड़े हुए दिखती हैं. सिंह इनकी सवारी होता है.  

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चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की, और आज तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा जाएगा. चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं. यहां जानें मां दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूरी कहानी. 

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देवी चंद्रघंटा का मंत्र 
इनके स्वरुप से ही दिखता है कि मां दुर्गा का यह रूप आराधकों में वीरता-निर्भयता के साथ सौम्यता और विनम्रता का विकास करता है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा के भक्त को देखकर लोग शान्ति और सुख का अनुभव करते हैं. यहां पढ़ें उनका पूजा मंत्र:

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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


इस मंत्र का अर्थ है: हे मां! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं. हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

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