चैत्र नवरात्रि: पांचवां दिन मां स्कंदमाता के नाम, इनके हाथ में विराजमान होते हैं भगवान स्कंद

चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी.

चैत्र नवरात्रि: पांचवां दिन मां स्कंदमाता के नाम, इनके हाथ में विराजमान होते हैं भगवान स्कंद

नवरात्रि: पांचवें दिन पूजी जाती हैं स्कंदमाता, उपासना के लिए पढ़ें ये खास मंत्र

नई दिल्ली:

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. मान्यता है कि यह माता भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है. स्कंदमाता का स्वरुप मन को मोह लेने वाला होता है. इनकी चार भुजाएं होती हैं, जिससे वो दो हाथों में कमल का फूल थामे दिखती हैं. एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे होते हैं और दूसरे से माता तीर को संभाले दिखती हैं. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम मान से भी जाना जाता है. 

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चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया, चौथे दिन कूष्माण्डा माता और आज पांचवे दिन स्कंदमाता को पूजा जाएगा. छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं.

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देवी स्कंदमाता का मंत्र 
मान्यता है कि स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना खुद ब खुद हो जाती है. क्योंकि इनकी गोद में भगवान स्कंदजी बालरूप में बैठे होते हैं. इसीलिए इसकी पूजा ध्यान से करनी चाहिए. यहां पढ़ें इनका मंत्र और उसका अर्थ: 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


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इस मंत्र का अर्थ है: हे मां! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

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