Chitragupta Puja 2018: चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त, सामग्रियां, पूजा विधि, मंत्र और आरती

Chitragupta Puja 2018: चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) दिवाली के दो दिन बाद यानी भइया दूज (Bhaiya Dooj) के दिन की जाती है. इसके चार दिन बाद छठ (Chhath) होती है. छठ (Chhath Puja) बिहार के बहुत धूमधाम से मनाई जाती है.

Chitragupta Puja 2018: चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त, सामग्रियां, पूजा विधि, मंत्र और आरती

कलम के आराध्य महाराज चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त, सामग्रियां, पूजा विधि, मंत्र और आरती

नई दिल्ली:

भाई दूज 2018 (Bhai Dooj 2018) के दिन ही चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) भी की जाती है. इस दिन कलम के आराध्य महाराज चित्रगुप्त को खुश करने के लिए खास पूजा की जाती है. चित्रगुप्त पूजा को खासकर व्यापारी और कलम का इस्तेमाल करने वाले लोग करते हैं. इस दौरान भगवान चित्रगुप्त के समक्ष आमदनी और खर्चों का पूरा ब्यौरा रखा जाता है. इसके बाद नए खातों की किताब पर 'श्री' लिखकर काम की शुरुआत की जाती है. चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) को चित्रगुप्त जयंती व्रत (Chitragupta Jayanti Puja), दवात पूजा (Dawat Puja) भी कहते हैं. वहीं, घर की महिलाएं गोधन कूटती हैं. यहां जानिए चित्रपूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, पूजा विधि, मंत्र और आरती.

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कब मनाई जाती है चित्रगुप्त पूजा?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को की जाती है. वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) दिवाली के दो दिन बाद यानी भइया दूज (Bhaiya Doo) के दिन की जाती है. इसके चार दिन बाद छठ (Chhath) होती है. छठ (Chhath Puja) बिहार के बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. उसके बाद प्रसाद का दिन होता है. तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को और चौथे दिन सुबह अर्घ्य दिया जाता है. 

चित्रगुप्त पूजा की सामग्रियां
चित्रगुप्त देवता की तस्वीर, गणेश जी की तस्वीर, चौकी, लाल कपड़ा, कलम, खाता किताब, सादा कागज, कलश, लोटा, दीप, दूब, आम के पत्ते, तुलसी के पत्ते, नवैद्य, फूल, माला, स्याही, पंचामृत (दूध, घी, अदरक, गुड़ और गंगाजल), ऋतुफल, घी, मिठाई, हल्दी, गंगाजल, पान, रूई, धूप, मौली, रोली और चंदन.

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चित्रगुप्त पूजा शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja Shubh Muhurat)
वृश्चिक लग्न का शुभ मुहूर्त - सुबह 06:51 से 09:9 तक.
कुंभ लग्न का शुभ मुहूर्त - दोपहर 1:01 से 02:31 तक. 
चित्रगुप्त पूजा के लिए यह दोनों की मुहूर्त शुभ हैं. 

चित्रगुप्त पूजा विधि
- पूजा स्थान को साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं.
- चित्रगुप्त जी और भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर बिठाएं.
- दीपक जलाएं और सबसे पहले भगवान गणेश को चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, दूब, फूल और धूप अर्पित करें. 
- अब चित्रगुप्त जी को भी चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, फूल और धूप अर्पित करें. 
- अब फल, मिठाई और पंचामृत (दूध, घी, अदरक, गुड़ और गंगाजल) और पान सुपारी का भोग लगाएं. 
- इसके बाद घर के सभी सदस्य अपनी किताबें, कलम और खाते की किताब को चित्रगुप्त जी के सामने रखें. 
- अब कोरे कागज पर एप्पन (चावल आंटा, हल्दी, घी, पानी और रोली) से स्वास्तिक बनाएं. इसी स्वास्तिक के नीचे पांच देवी-देवताओं के नाम लिखें और सबके आखिर में सहाय नम: लिखें. जैसे श्री चित्रगुप्त जी सहाय नम:, श्री गणेश सहाय नम:. 
- इसी कागज पर अब एक तरफ अपना नाम, तारिख और दूसरी ओर कमाई और खर्च का विवरण लिखें. इसके बाद आने वाले साल के लिए कारोबार में बढ़ोत्तरी के लिए निवेदन करें. आखिर में अपने हस्ताक्षर करें. 
- अब इस कागज के साथ-साथ कलम को भी हल्दी, रोली, अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें.
- अब चित्रगुप्त जी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का 11 बार जाप करें.

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मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||


मंत्र पढ़ने के बाद आखिर में पूरा परिवार चित्रगुप्त जी की इस आरती को गाकर पूजा को संपन्न करें.

चित्रगुप्त जी की आरती
जय चित्रगुप्त यमेश तव ,शरणागतम ,शरणागतम|
जय पूज्य पद पद्मेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय देव देव दयानिधे ,जय दीनबंधु कृपानिधे |
कर्मेश तव धर्मेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय चित्र अवतारी प्रभो ,जय लेखनीधारी विभो |
जय श्याम तन चित्रेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
पुरुषादि भगवत् अंश जय ,कायस्थ कुल अवतंश जय |
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव शरणागतम ,शरणागतम||
जय विज्ञ मंत्री धर्म के ,ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के |
जय शांतिमय न्यायेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
तव नाथ नाम प्रताप से ,छूट जाएँ भय त्रय ताप से |
हों दूर सर्व क्लेश तव शरणागतम ,शरणागतम||
हों दीन अनुरागी हरि, चाहें दया दृष्टि तेरी |
कीजै कृपा करुणेश तव शरणागतम ,शरणागतम||


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