Dhanteras 2019: आज है धनतेरस, इस शुभ मुहूर्त पर करें खरीददारी, जानिए पूजा विधि और महत्‍व

Dhanteras 2019: धनतेरस (Dhanteras) के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा (Lakshmi Puja) का विधान है. इस दिन मां लक्ष्‍मी (Maa Lakshmi) के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है. इस बार दीवाली (Diwali) 27 अक्‍टूबर को है.

Dhanteras 2019: आज है धनतेरस, इस शुभ मुहूर्त पर करें खरीददारी, जानिए पूजा विधि और महत्‍व

Dhanteras 2019: धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है

खास बातें

  • धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का जन्‍म हुआ था
  • इस दिन दीपावली का सामान खरीदा जाता है
  • धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी का पूजन बेहद शुभ माना जाता है
नई दिल्‍ली:

Dhanteras 2019: धनतेरस (Dhanteras) हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहार दीपावली (Diwali) पर्व का पहला दिन है.  इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है. मान्‍यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था. इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है. इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा (Yama Puja) भी की जाती है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है. इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस (Chhoti Diwali or Narak Chaturdashi), बड़ी या मुख्‍य दीपावली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja) और अंत में भाई दूज या भैया दूज (Bhai Dooj) का त्‍योहार मनाया जाता है. धनतेरस से एक दिन पहले रमा एकादशी पड़ती है.

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धनतेरस कब मनाया जाता है?
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आता है. इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है.

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस की तिथि:
25 अक्‍टूबर 2019 
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 26 अक्‍टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट 
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक 
अवधि: 01 घंटे 05 मिनट 

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धनतेरस का महत्‍व 
धनतेरस (Dhanteras) को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्‍वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्‍वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था. भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय 'राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस' (National Ayurveda Day) के नाम से मनाता है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्‍मी पूजन करने से घर धन-धान्‍य से पूर्ण हो जाता है. इसी दिन यथाशक्ति  खरीददारी और लक्ष्‍मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी. इस दिन यम पूजा का विधान भी है. मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन संध्‍या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्‍यु का योग टल जाता है. 

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धनतेरस की पूजा विधि 
धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है. 
- धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है. इस दिन भगवान धन्‍वंतर‍ि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं. साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें. 
- धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है. इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं. दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए. दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें: 

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||


- धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है. इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें. फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें: 

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ॐ  श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्‍लीं श्रीं क्‍लीं वित्तेश्वराय नम: 

- धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है. इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है. 

धनतेरस के दिन कैसे करें मां लक्ष्‍मी की पूजा?
धनतेरस के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्‍मी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मां लक्ष्‍मी के साथ महालक्ष्‍मी यंत्र की पूजा भी की जाती है. धनतेरस पर इस तरह करें मां लक्ष्‍मी की पूजा: 
- सबसे पहले एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रखें.
- अनाज के ऊपर स्‍वर्ण, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखें. इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिलाएं. 
- अब कलश में सुपारी, फूल, सिक्‍का और अक्षत डालें. इसके बाद इसमें आम के पांच पत्ते लगाएं. 
- अब पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें. 
- धान पर हल्‍दी से कमल का फूल बनाएं और उसके ऊपर मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा रखें. साथ ही कुछ सिक्‍के भी रखें.
- कलश के सामने दाहिने ओर दक्षिण पूर्व दिशा में भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. 
- अगर आप कारोबारी हैं तो दवात, किताबें और अपने बिजनेस से संबंधित अन्‍य चीजें भी पूजा स्‍थान पर रखें. 
- अब पूजा के लिए इस्‍तेमाल होने वाले पानी को हल्‍दी और कुमकुम अर्पित करें. 
- इसके बाद इस मंत्र का उच्‍चारण करें 

ॐ  श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलिए प्रसीद प्रसीद | 
ॐ  श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मिये नम: ||


- अब हाथों में पुष्‍प लेकर आंख बंद करें और मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करें. फिर मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को फूल अर्पित करें. 
- अब एक गहरे बर्तन में मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा रखकर उन्‍हें पंचामृत (दही, दूध, शहद, घी और चीनी का मिश्रण) से स्‍नान कराएं. इसके बाद पानी में सोने का आभूषण या मोती डालकर स्‍नान कराएं. 
- अब प्रतिमा को पोछकर वापस कलश के ऊपर रखे बर्तन में रख दें. आप चाहें तो सिर्फ पंचामृत और पानी छिड़ककर भी स्‍नान करा सकते हैं. 
- अब मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को चंदन, केसर, इत्र, हल्‍दी, कुमकुम, अबीर और गुलाल अर्पित करें. 
- अब मां की प्रतिमा पर हार चढ़ाएं. साथ ही उन्‍हें बेल पत्र और गेंदे का फूल अर्पित कर धूप जलाएं. 
- अब मिठाई, नारियल, फल, खीले-बताशे अर्पित करें. 
- इसके बाद प्रतिमा के ऊपर धनिया और जीरे के बीज छिड़कें. 
- अब आप घर में जिस स्‍थान पर पैसे और जेवर रखते हैं वहां पूजा करें. 
- इसके बाद माता लक्ष्‍मी की आरती उतारें.

मां लक्ष्‍मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

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आप सभी को धनतेरस की शुभकामनाएं !!!