Ram Navami 2017: जानिए भगवान राम के जन्मोत्सव से जुड़ी मान्यताएं और परम्पराएं

Ram Navami 2017: जानिए भगवान राम के जन्मोत्सव से जुड़ी मान्यताएं और परम्पराएं

राम नवमी को पुण्य पर्व माना जाता हैं

राम नवमी पर्व भगवान विष्णु के अवतार के रूप में मानव शरीर में जन्म लेने वाले भगवान राम को को समर्पित है. अगस्त्यसंहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्कलग्‍न में जब सूर्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तब भगवान् श्रीराम का माता कौशल्या के गर्भ से जन्म हुआ था. भारतीय संस्कृति में राम को सदाचार का आदर्श माना गया है. कहते हैं, उनके समय में प्रजा हर प्रकार से सुखी थी. राम का शासन यानी राम राज्‍य शांति और समृद्धि पर्यायवाची बन गया है.

राम नवमी 2017:  आजीवन मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादापुरुषोत्तम कहलाए श्रीराम
 
राम नवमी के दिन मंदिर, मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधान है. पर्व के दिन कलश स्थापना और राम जी के परिवार की पूजा करनी चाहिए, और भगवान श्री राम का दिनभर भजन, स्मरण, स्तोत्रपाठ, दान, पुण्य, हवन और उत्सव मनाते हैं. रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्‍या में उनके जन्‍मोत्‍सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं.

देवी दुर्गा के 10 मंत्र, मनोकामना पूरी करने के लिए साधक करते हैं इनका जप
 
राम नवमी का दिन भारतीय जीवन में पुण्य पर्व माना जाता हैं. इस दिन सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं. कहते हैं, रामनवमी पर्व के पावन दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना का श्रीगणेश किया था. रामचरितमानस की रचना की रचना अवधी भाषा में की गई है.

जानिए भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि के बारे में ये अनसुनी बातें
 
रामनवमी की पूजा के लिए आवश्‍यक सामग्री रोली, ऐपन, चावल, जल, पीले फूल, तुलसी के पत्ते, मिष्टान्न, घंटी और शंख हैं. पूजा के बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्‍य सभी लोगों को टीका लगाती है. पहले जल, रोली और ऐपन चढ़ाया जाता है, फिर मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं.

आस्था सेक्शन से जुड़ी अन्य खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
 


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com