भारत की 5 जगह जहां राम नहीं, रावण की पूजा होती है

भारत में कुछ स्थानों पर रावण की पूजा करने का कारण भी बताया गया है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर भारत के इन 5 स्थानों पर क्यों की जाती है रावण की पूजा?

भारत की 5 जगह जहां राम नहीं, रावण की पूजा होती है

मध्यप्रदेश का एक गांव जहां रावण को पूजा जाता है.

खास बातें

  • मध्य प्रदेश के मंदसौर में पूजा जाता है रावण.
  • कर्नाटक में मनाया जाता है लंकेश्वर महोत्सव.
  • राजस्थान में रावण और मन्दोदरी का विवाह स्थल माना जाता है.
नई दिल्ली:

30 सितंबर को भारत में दशहरा मनाया जाएगा. पूरे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है और भगवान राम की पूजा की जाती है. लेकिन भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जहां पर भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में ऐसे कुछ स्थानों पर रावण की पूजा करने का कारण भी बताया गया है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर भारत के इन 5 स्थानों पर क्यों की जाती है रावण की पूजा?

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मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक गांव है, जहां राक्षसराज रावण का मंदिर बना हुआ है. यहां रावण की पूजा होती है. यह रावण का मध्यप्रदेश में पहला मंदिर था. मध्यप्रदेश के ही मंदसौर जिले में भी रावण की पूजा की जाती है. मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र में रावण रूण्डी नाम के स्थान पर रावण की विशाल मूर्ति है. कथाओं के अनुसार, रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था. रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थीं. मंदोदरी के कारण ही दशपुर का नाम मंदसौर माना जाता है.

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कर्नाटक
कोलार जिले में लोग फसल महोत्सव के दौरान रावण की पूजा करते हैं और इस मौके पर जुलूस भी निकाला जाता है. ये लोग रावण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि वह भगवान शिव का परम भक्त था. लंकेश्वर महोत्सव में भगवान शिव के साथ रावण की प्रतिमा भी जुलूस में निकाली जाती है. इसी राज्य के मंडया जिले के मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है.

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उत्तर प्रदेश
उत्तरप्रदेश के प्रसिद्ध शहर कानपुर में रावण एक बहुत ही प्रसिद्ध दशानन मंदिर है. कानपुर के शिवाला इलाके के दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है तथा श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर रावण से अपनी मन्नतें पूरी करने की प्रार्थना करते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1890 किया गया था. रावण के इस मंदिर के साल के केवल एक बार दशहरे के दिन ही खोले जाते हैं. परंपरा के अनुसार, दशहरे पर सुबह मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं. फिर रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार कर, आरती की जाती है. दशहरे पर रावण के दर्शन के लिए इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है और शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं.
 
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राजस्थान
जोधपुर जिले के मन्दोदरी नाम के क्षेत्र को रावण और मन्दोदरी का विवाह स्थल माना जाता है. जोधपुर में रावण और मन्दोदरी के विवाह स्थल पर आज भी रावण की चवरी नामक एक छतरी मौजूद है. शहर के चांदपोल क्षेत्र में रावण का मंदिर बनाया गया है. 
 
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हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है. यहां के लोग रावण का पुतला जलाना महापाप मानते है. यहां पर रावण की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि यहां रावण ने कुछ साल बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था.
 
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