केरल में लॉकडाउन के बाद फिर खुले मंदिर तो केंद्रीय और राज्य के मंत्री के बीच शुरू हुआ वाकयुद्ध

केंद्र सरकार ने अनलॉक 1.0 के तहत सोमवार से पूरे देश में धार्मिक स्थल, मॉल और रेस्त्रां फिर से खोलने की मंजूरी दी थी.’’

केरल में लॉकडाउन के बाद फिर खुले मंदिर तो केंद्रीय और राज्य के मंत्री के बीच शुरू हुआ वाकयुद्ध

केरल में मंगलवार से खोले गए धार्मिक स्थल.

तिरुवनंतपुरम:

केरल में मंदिरों के करीब 75 दिन बंद रहने के बाद मंगलवार को फिर से खुलने के साथ ही एक केंद्रीय मंत्री और राज्य के एक मंत्री के बीच इस दक्षिणी राज्य में मंदिरों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोलने को लेकर वाकयुद्ध शुरू हो गया है. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने मंदिरों को फिर से खोलने में ‘‘जल्दबाजी'' दिखाने को लेकर सवाल उठाया जबकि राज्य के देवस्वोम मंत्री कडाकम्पल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि निर्णय इस संबंध में केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुरूप है. 

केंद्र सरकार ने अनलॉक 1.0 के तहत सोमवार से पूरे देश में धार्मिक स्थल, मॉल और रेस्त्रां फिर से खोलने की मंजूरी दी थी. मुरलीधरन ने सोमवार को एक फेसबुक पोस्ट में राज्य की वाम सरकार पर यह कहते हुए निशाना साधा था कि ‘‘आपकी सरकार राज्य में एक दूसरे से दूरी भी नहीं बनाये रख पा रही है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में जब राज्य में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं क्या आप मंदिरों को खोलकर दोष उन पर मढ़ना चाहते हैं? हमें चाहिए कि सरकार त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के तहत मंदिरों को खोलने का निर्णय वापस ले.'' 

महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य मुरलीधरन ने सोमवार को ट्वीट किया था कि ना तो श्रद्धालुओं ने और ना ही मंदिर समितियों ने ही मंदिरों को फिर से खोलने की मांग की थी. उन्होंने दो ट्वीट में लिखा, ‘‘भक्तों के विरोध के बावजूद केरल सरकार के मंदिरों को फिर से खोलने के फैसले से षड्यंत्र की बू आ रही है. ना तो भक्तों और ना ही मंदिर समितियों ने मंदिरों को खोलने की मांग की.'' उन्होंने लिखा, ‘‘जल्दबाजी क्या थी? क्या यह नास्तिक विजयन पिनारयी सरकार द्वारा भक्तों को बदनाम करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है? सरकार को भक्तों की आवाज पर ध्यान देना चाहिए और अपना फैसला वापस लेना चाहिए.'' 

सुरेंद्रन ने मुरलीधरन को आड़े हाथ लेते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने मंदिरों को फिर से खोलने में कोई अनुचित जल्दबाजी नहीं दिखायी और उनकी केंद्रीय मंत्री के साथ सहानुभूति है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से कैबिनेट में मंदिरों को फिर से खोलने के बारे में लिये गए निर्णय के बारे में पूछना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उनके (मुरलीधरन) लिए दुख होता है. उपासनास्थल खोलने का निर्णय हमारे माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिया गया था.'' 

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने धार्मिक स्थल फिर से खोलने को लेकर कभी कोई जल्दबाजी नहीं दिखायी.'' उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य द्वारा एक पल में नहीं लिया गया बल्कि विभिन्न धार्मिक प्रमुखों और समुदाय के नेताओं के साथ चर्चा के बाद लिया गया. सुरेंद्रन ने कहा, “राज्य द्वारा निर्णय विभिन्न धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद लिया गया. हम समझते हैं कि एक राज्य मंत्री कैबिनेट बैठक में भाग नहीं ले सकते. लेकिन, कम से कम उन्हें राज्य पर हमला करने से पहले केंद्र के फैसले पर अन्य मंत्रियों से पूछना चाहिए था.” 

इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि सरकार ने अन्य धर्मों में से विभिन्न व्यक्तियों से परामर्श किया लेकिन उसने मंदिरों के मामले में यह एकपक्षीय निर्णय किया. सुरेंद्रन ने कोझीकोड में मीडिया से कहा कि इस मुद्दे पर किसी आध्यात्मिक नेता या विद्वान से बात नहीं की गई.

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मंदिरों को फिर से खोलने के निर्णय के पीछे केवल देवस्वोम के नियंत्रण वाले मंदिरों की संपत्ति थी.उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने उन सैकड़ों मंदिरों के लिए एक पैसा खर्च करने की जहमत नहीं उठाई जिनके पास पिछले दो महीनों के दौरान खर्च के लिए कुछ भी नहीं था. उन्होंने कहा कि सरकार ने इन मंदिरों के हजारों कर्मचारियों को "नजरंदाज" किया और उन्हें आजीविका के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी. भाजपा और हिंदू अकिया वेदी ने राज्य के धार्मिक स्थलों को खोलने के फैसले का सोमवार को विरोध किया था. मंगलवार को राज्य के कुछ चर्च और मस्जिदों के साथ त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के तहत आने वाले विभिन्न मंदिर खुल गए.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)