Ganesh Chaturthi 2018: भगवान गणेश की पूजा में नही चढ़ाई जाती तुलसी, जानिए आखिर क्या है वजह

Ganesh Chaturthi 2018: गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का मौका है और हर घर में गणपति की स्थापना की जा रही है.

Ganesh Chaturthi 2018: भगवान गणेश की पूजा में नही चढ़ाई जाती तुलसी, जानिए आखिर क्या है वजह

गणेश जी को तुलसी क्यों नहीं पसंद

खास बातें

  • माता तुलसी ने की तपस्या भंग
  • गणेश जी ने दिया श्राप
  • विष्णु के शालिग्राम रूप से होती है शादी
नई दिल्ली:

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का मौका है और हर घर में गणपति की स्थापना की जा रही है. इस दौरान घरों में भगवान गणेश की मूर्ति का स्वागत बड़ी ही धूमधाम से होता है. पूजा की थाल और उसमें लड्डुओं के साथ बाकी सामग्री रखी जाती है. लेकिन सिर्फ एक चीज़ भगवान गणेश की पूजा थाली में कभी नहीं रखी जाती और वो है तुलसी. विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के मौके पर जानिए कि आखिर क्यों गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है.  

एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणेश जी गंगा किनारे तप कर रहे थे. वहीं, माता तुलसी अपने विवाह की इच्छा को पूरा करने के लिए तीर्थ यात्रा पर थीं. सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए वह एक दिन गंगा के तट पर आ पहुंची. इस तट पर भगवान गणेश को तप करते देख वह उनपर मोहित हो गई. 

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तप के दौरान भगवान गणेश रत्न से जड़े सिंहासन पर विराजमान थे. उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था. गले में उनके स्वर्ण-मणि रत्न पड़े हुए थे और कमर पर रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था. उनके इस रूप को देख माता तुलसी ने गणेश जी से विवाह का मन बना लिया. 

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उन्होंने गणेश जी की तपस्या भंग कर उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. तपस्या भंग करने पर गुस्साए भगवान गणेश ने विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि वह ब्रह्माचारी हैं. इस बात से गुस्साई माता तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया और कहा कि उनके दो विवाह होंगे. इस पर गणेश जी ने भी उन्हें श्राप दिया और कहा कि उनका विवाह एक असुर शंखचूर्ण से होगा. राक्षक की पत्नी होने का श्राप सुनकर तुलसी जी ने गणेश जी से माफी मांगी. 

तब भगवान गणेश ने उन्हें कहा कि वह भगवान विष्णु और कृष्ण जी की प्रिय होने के साथ कलयुग में जगत को जीवन और मोक्ष देने वाली होंगी. लेकिन मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना अशुभ माना जाएगा. उसी दिन से भगवान गणेश जी की पूजा में कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाती.  

बता दें, तुलसी भगवान विष्णु को बुहत प्रिय है. इनके एक रूप शालिग्राम से विवाह होता है. हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का विवाह होता है. यह विवाह हर साल दिवाली के 11 दिन बाद आने वाली एकादशी वाले दिन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद नींद से जागते हैं. इस दिन को देवउठनी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन तुलसी भगवान गणेश को बिल्कुल पसंद नहीं.
 

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