Ganesh Jayanti: जानिए गणेश जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और त्‍योहार मनाने का तरीका

माघ महीने की गणेश जयंती को ही भगवान गणेश का जन्‍मदिन माना जाता है. गणेश जयंती को महाराष्‍ट्र में माघ शुक्‍ल चतुर्थी (Magha Shukla Chaturthi), तिलकुंड चतुर्थी (Tilkund Chaturthi) और वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है.

Ganesh Jayanti: जानिए गणेश जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और त्‍योहार मनाने का तरीका

Ganesh Jayanti 2019: गणेश जयंती के बारे में जानिए सबकुछ

नई दिल्ली:

गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) का विशेष महत्‍व है. ऐसा मान्‍यता है कि इसी दिन मां पार्वती और भगवान श‍िव शंकर के पुत्र गणेश की तरंगों का अवतरण हुआ था. हालांकि देश के ज्‍यादातर हिस्‍सों में भाद्रपद की गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) को भगवान गणेश के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है लेकिन महाराष्‍ट्र और कोंकण के तटीय इलाकों में माघ महीने की गणेश जयंती को ही भगवान गणेश का जन्‍मदिन माना जाता है. गणेश जयंती को महाराष्‍ट्र में माघ शुक्‍ल चतुर्थी (Magha Shukla Chaturthi), तिलकुंड चतुर्थी (Tilkund Chaturthi) और वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्‍यता है कि माघ महीने की गणेश जयंती का व्रत करने से भगवान गणेश भक्‍तों के संकटों को दूर कर उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

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गणेश जयंती कब है?
हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की शुक्‍ल पक्ष चतुर्थी को गणेश जयंती मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह हर साल जनवरी या फरवरी के महीने में आती है. इस बार 8 फरवरी को गणेश जयंती मनाई जा रही है. 

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गणेश जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 08 फरवरी 2019 को सुबह 10 बजकर 17 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्‍त: 09 फरवरी 2019 को 12 बजकर 25 मिनट तक 
गणेश जयंती पूजा मुहूर्त: 08 फरवरी 2019 को सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक 
कुल अवधि: 02 घंटे 13 मिनट
08 फरवरी को चंद्र दर्शन नहीं करने का समय: रात 10 बजकर 18 मिनट से सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक
कुल अवधि: 10 घंटे 58 मिनट 
09 फरवरी को चंद्र दर्शन नहीं करने का समय: रात 09 बजकर 47 मिनट से  सुबह 10 बजकर 06 मिनट तक
कुल अवधि: 12 घंटे 18 मिनट 

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कैसे मनाई जाती है गणेश जयंती? 
गणेश जयंती के दिन हल्‍दी या सिंदूर से गणेश प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है. तिल के लड्डू और प्रसाद  बनाकर भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है. इसके बाद तिल का प्रसाद सभी  में बांटा जाता है. इस दिन लोग नहाने के पानी में तिल मिलाकर स्‍नान करते हैं. गणेश जयंती के दिन तिल का उबटन लगाने की भी परंपरा है. कई लोग दिन भर व्रत रखते हैं. शाम के समय घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. गणेश जयंती के दिन चंद्र दर्शन करना वर्जित है. इस दिन लोग मंदिर जाकर बप्‍पा से आशीर्वाद लेते हैं. पुणे के मोरेगांव स्थित मोरेश्‍वर मंदिर में तो इस दिन भक्‍तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर को अष्‍टविनायक मंदिरों में सर्वप्रथम माना गया है. त्‍योहार के चौथे दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है.