जमानत पर छूटने के बाद मंदिर में झाड़ू-पोंछा कर रहे गुजरात दंगों के 6 मुजरिम

गुजरात दंगों (Gujarat Riots) के छह मुजरिम मंदिर की व्यवस्थाओं से जुड़ी अन्य जिम्मेदारियां भी संभालने के साथ इस देवस्थान में सुबह-शाम की नियमित आरती में भी शामिल हो रहे हैं.

जमानत पर छूटने के बाद मंदिर में झाड़ू-पोंछा कर रहे गुजरात दंगों के 6 मुजरिम

प्रतीकात्‍मक फोटो

इंदौर:

साल 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के दंगे के एक मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले 15 दोषियों में शामिल छह लोगों को इन दिनों इंदौर के एक मंदिर में झाड़ू-पोंछा करते देखा जा सकता है. वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत पर छूटने के बाद सामुदायिक सेवा के तहत यह काम कर रहे हैं.

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जिला विधिक सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने बताया, "सुप्रीम कोर्ट के जमानत आदेश की शर्तों के मुताबिक इन दोषियों ने शहर में सामुदायिक सेवा शुरू कर दी है. फिलहाल वे एक स्थानीय मंदिर के किचन और इसके परिसर के अन्य हिस्सों में झाड़ू-पोंछा कर रहे हैं."
 
उन्होंने बताया कि गुजरात दंगों के छह मुजरिम मंदिर की व्यवस्थाओं से जुड़ी अन्य जिम्मेदारियां भी संभालने के साथ इस देवस्थान में सुबह-शाम की नियमित आरती में भी शामिल हो रहे हैं.

चौधरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन दोषियों को शहर के एक पुलिस थाने में हर महीने की पहली तारीख को हाजिरी भी दर्ज करानी होगी. वे इंदौर के जिला और सत्र न्यायाधीश की अनुमति के बिना जिले की सीमा से बाहर नहीं जा सकेंगे.
 
मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि गुजरात दंगों के छह दोषियों को अलग-अलग सामुदायिक सेवाओं से जोड़ने के लिये खाका तैयार किया जा रहा है. उन्हें अस्पतालों और गोशालाओं में सामुदायिक सेवाएं देने के लिये भेजने पर भी विचार किया जा रहा है.

सूत्रों के मुताबिक दंगों के दोषियों के समूह में 41 से 65 वर्ष की उम्र वाले पुरुष शामिल हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत गुजरात की निचली अदालत में जमानत की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सोमवार को इंदौर पहुंचे थे.
 
गुजरात दंगों के मामले में 15 दोषियों को आणंद जिले के ओड कस्बे में हुए नरसंहार के सिलसिले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इस दंगे में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.

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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने 28 जनवरी को पारित आदेश के तहत इस मामले के 15 दोषियों को दो समूहों में बांट दिया था. जमानत की शर्तों के तहत ये दोषी गुजरात से बाहर रहेंगे और उन्हें मध्य प्रदेश के दो शहरों- इन्दौर और जबलपुर में निवास करते हुए सप्ताह में छह-छह घंटे सामुदायिक सेवा करनी होगी.