"सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं", जानिए सिखों  के 10वें गुरु के 20 अनमोल वचन

Guru Gobind Singh Jayanti: गुरु गोविंद सिंह जयंती के दिन ही लोहड़ी (Lohri) का पर्व भी मनाया जाएगा. दोनों ही 13 जनवरी को हैं.

गुरु गोबिंद सिंह और सिखों के 10वें गुरु के 20 अनमोल वचन

नई दिल्ली:

गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) सिख धर्म के 10वें गुरु, दार्शनिक और कवि हैं. उन्‍होंने खालसा वाणी - "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" दी. बैसाखी के दिन 1699 में उन्‍होंने खालसा पंथ (Khalsa Panth) की स्‍थापना की थी. यही नहीं उन्‍होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) को पूरा किया था. उन्‍होंने खालसा पंथ की रक्षा के लिए मुगलों और उनके सहयोगियों से 14 युद्ध लड़े थे. गुरु गोबिंद सिंह की गिनती महान लेखकों और रचनाकारों में होती है. उन्‍होंने 'जाप' साहिब, 'अकाल उस्‍तत', 'बिचित्र नाटक', 'चंडी चरित्र', 'शास्‍त्र नाम माला', 'अथ पख्‍यां चरित्र लिख्‍यते', 'ज़फ़रनामा' और 'खालसा महिमा' जैसी रचनाएं लिखीं. 'बिचित्र नाटक' को उनकी आत्‍मकथा माना जाता है, जोकि 'दसम ग्रन्थ' का एक भाग है. आपको बता दें कि गुरु गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम 'दसम ग्रंथ' है. गुरु गोबिंद सिंह ने जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत दिए थे, जिन्‍हें 'पांच ककार' कहा जाता है. पांच ककार का मतलब 'क' शब्द से शुरू होने वाली उन 5 चीजों से है, जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह के सिद्धांतों के अनुसार सभी खालसा सिखों को धारण करना होता है. गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं- 'केश', 'कड़ा', 'कृपाण', 'कंघा' और 'कच्छा'. इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता. इनमें केश सबसे पहले आते हैं. इस बार 13 जनवारी को गुरु गोबिंद सिंह जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर हम आपको उनके 10 प्रेरणादायी विचारों (Guru Gobind Singh Quotes) के बारे में बता रहे हैं:

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1. "सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं,
तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं!!"

2. "अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे."

3. "जब आप अपने अंदर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी."

4. "मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं."

5. "ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें."

6. "इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है."

7. "अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं. अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है."

8. "जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए."

9. "जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है."

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10. "असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहाएगा."

11. "सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है."

12. "हर कोई उस सच्चे गुरु की जयजयकार और प्रशंसा करे जो हमें भगवान की भक्ति के खजाने तक ले गया है."

13. "भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं."

14. "सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्‍हें उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा."

15. "अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है."

16. "बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है."

17. "स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है."

18. "सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं."

19. "हमेशा अपने दुश्मन से लड़ने से पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें."

20. "आप अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी ना बने उससे हमेशा बचे."

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