Guru Nanak Jayanti 2018: कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है गुरु नानक जयंती, जानिए गुरु पर्व के बारे में खास बातें

Guru Nanak Jayanti 2018: इस बार गुरु नानक जयंती 23 नवंबर को है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु पर्व (Guru Parv) मनाया जाता है.

Guru Nanak Jayanti 2018: कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है गुरु नानक जयंती, जानिए गुरु पर्व के बारे में खास बातें

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है गुरु पर्व

नई दिल्ली:

Guru Nanak Jayanti 2018: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी (Guru Nanak Jayanti) के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व (Guru Parv or Prakash Parv) मनाया जाता है. इस दिन सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं. गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रुमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं. गुरु पर्व (Guru Parv) के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रृद्धा के अनुसार सेवा करते हैं और गुरु नानक जी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं. बता दें गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. यह कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन मनाई जाती है. यहां जानिए गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) से जुड़ी खास बातें. 

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गुरु नानक जयंती कब है?

इस बार गुरु नानक जयंती 23 नवंबर को है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु पर्व (Guru Parv) मनाया जाता है. 

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गुरु नानक जयंती क्यों मनाते हैं?
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व (Guru Parv or Prakash Parv) गुरु नानक जी (Guru Nanak Ji) की जन्म की खुशी में मनाते हैं. सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में है. इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा. यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है. इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. बता दें, शेर-ए पंजाब (Sher-E-Punjab) नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था.  

सिख समुदाय के लोग दिपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं. 

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गुरु नानक जी कौन थे?
गुरु नानक जी (Guru Nanak) सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. इन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी. इनके अनुयायी इन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं. वहीं, लद्दाख और तिब्बत में इन्हें नानक लामा (Nanak Lama) कहा जाता है. गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया. उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए. पंजाबी भाषा में उनकी यात्रा को 'उदासियां' कहते हैं. उनकी पहली 'उदासी' अक्टूबर 1507 ईं. से 1515 ईं. तक रही. 16 साल की उम्र में सुलक्खनी नाम की कन्या से शादी की और दो लड़कों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने. 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने.

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गुरु नानक जी के उपदेश
1. ईश्वर एक है. वह सर्वत्र विद्यमान है. हम सबका "पिता" वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.
2. तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए.
3. गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को परिवार का हिस्सा.
4. किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए.
5. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रुरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
6. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यत्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए.
7. धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए.
8. स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए. वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे.
9. संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है.
10. अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.

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सिख धर्म के गुरुओं के नाम
पहले गुरु - गुरु नानक देव
दूसरे गुरु - गुरु अंगद देव
तीसरे गुरु - गुरु अमर दास
चौथे गुरु - गुरु राम दास
पाचंवे गुरु - गुरु अर्जुन देव
छठे गुरु - गुरु हरगोबिन्द
सातवें गुरु - गुरु हर राय
आठवें गुरु - गुरु हर किशन
नौवें गुरु - गुरु तेग बहादुर
दसवें गुरु - गुरु गोबिंद सिंह
दस गुरुओं के बाद गुरु ग्रन्थ साहिब (Gur Granth Sahib) को ही सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया. गुरु ग्रन्थ साहिब में कुल 1430 पन्ने हैं, जिसमें सिख गुरुओं के उपदेशों के साथ-साथ 30 संतों की वाणियां भी शामिल हैं.


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