आखि‍र क्यों है सावन का महीना श‍िव शंकर को इतना प्रिय, ये रही 4 वजहें...

जानिए आखि‍र क्या हैं वे कारण या मान्यताएं, जो सावन मास में श‍िव के पूजन के महत्व को बढ़ा देती हैं.

आखि‍र क्यों है सावन का महीना श‍िव शंकर को इतना प्रिय, ये रही 4 वजहें...

सावन का महीना चल रहा है, चारों और शि‍व भक्त भोले के रंग में रंगे हैं, जय शि‍व शंकर के नारे गूंज रहे हैं. कहते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है. इस माह में श‍िव भक्त उन्हें प्रसन्न करने के का हर प्रयास करते हैं. इस माह में श‍िव की पूजा बहुत अहम मानी जाती है. जानिए आखि‍र क्या हैं वे कारण या मान्यताएं, जो सावन मास में श‍िव के पूजन के महत्व को बढ़ा देती हैं. 

1. मान्यता है कि सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला, उससे पूरा संसार नष्ट सकता था, लेकिन भगवान श‍िव ने उस विष को अपने कंठ में समाहित किया और सृष्ट‍ि की रक्षा की. इस घटना के बाद ही भगवान श‍िव का वर्ण नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहा गया. कहते हैं कि श‍िव ने जब विष पिया, तो उसके असर को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था. यह भी एक अहम वजह है कि सावन में श‍िव को जल चढ़ाया जाता है.

2. मान्यता है कि सावन के महीने में विष्णु जी योगनिद्रा में जाते हैं. सृष्टि के संचालन का काम शिव देखते हैं. इसलिए ये समय भगवान श‍िव के भक्तों के लिए अहम माना जाता है. यही वजह है कि शि‍व को सावन के प्रधान देवता के रूप में पूजा जाता है.

3. मान्यता है कि सावन के माह में ही भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित हुए और अपनी ससुराल पहुंचे थे. ससुराल में शि‍व का स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया. यही वजह है कि सावन माह में श‍िव को अर्घ्य और जलाभिषेक किया जाता है. 

4. हिंदू मान्यता है कि हर साल श‍िव सावन में अपने ससुराल जाते हैं. यानी यही वह समय है, जब वे धरती पर रहने वाले लोगों के आसपास होते हैं और वे उनकी कृपा पा सकते हैं.


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