क्यों हिंदुओं में अनंत है गुरु की महिमा, खुद बता गए हैं कई गुरु...

हिंदूओं में गुरु के नाम पर सप्ताह का एक दिन भी है. जिसे नाम दिया गया है गुरुवार यानी आज का दिन. इस दिन को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है. गुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु थे उन्हीं के नाम पर सप्ताह के इस दिन का नाम रखा गया.

क्यों हिंदुओं में अनंत है गुरु की महिमा, खुद बता गए हैं कई गुरु...

हिंदू धर्म में गुरु की महिमा को अनंत बताया गया है. गुरु के बिना ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति को असंभव माना गया है. केवल हिंदू ही नहीं अन्य धर्मों में भी गुरु को अलग अलग नामों और स्वरूपों में ईश्वर से मिलन के लिए अहम माना गया है. हिंदूओं में गुरु के नाम पर सप्ताह का एक दिन भी है. जिसे नाम दिया गया है गुरुवार यानी आज का दिन. इस दिन को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है. गुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु थे उन्हीं के नाम पर सप्ताह के इस दिन का नाम रखा गया.

गुरु के नाम की महिमा का गान हिंदी साहित्य में के कालों के पन्ने पलट कर देखें तो कई गुरुओं ने खुद किए हैं. रैदास, कबीर दास, गुरुगोबिंद सिंह और कई भक्तिकाल के संतों और कवियों ने की. भक्तिकाल में गुरु को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया. आज एक नजर भक्तिकाल में गुरु की महिमा के गान पर-
 
कबीर ने गुरु की महिमा का गान करते हुए कहा है-

सत गहे, सतगुरु को चीन्हे, सतनाम विश्वासा,
कहै कबीर साधन हितकारी, हम साधन के दासा.
 
कबीर ने गुरु को गोविंद के समान माना-
 
गुरु गोविदं दोउ खड़े काके लागों पांय.
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय.
 
गुरु में कबीर का विश्वास इतना गहरा था कि उन्होंने कहा-
 
जाका गुरु भी अंधला, चेरा खरा निरंध.
अंधै अंधा ठेलिया, दून्यूं कूप पडंत.
 
सिख भी गुरु की महिमा का गान इस प्रकार करते हैं-

धन - धन गुरू गोविंद दी वडयाई, सिख नू सच दी राह दिखलाई.
नानक दे सिख नू चोला पहनाया, सरबस अरपण करना सिखलाया.


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