माह-ए-रमजान: जानें क्या है रमजान का महत्व और रोजे से जुड़े नियम

रमज़ान का मतलब होता है प्रखर. रमज़ान इस्‍लाम कैलेंडर का नौवां महीना होता है. माना जाता है कि सन् 610 में लेयलत उल-कद्र के मौके पर मुहम्‍मद साहब को कुरान शरीफ के बारे में पता चला था.

माह-ए-रमजान: जानें क्या है रमजान का महत्व और रोजे से जुड़े नियम

Ramadan 2017: पाक महीने रमजान की शुरुआत 27 या 28 मई से होगी.

साल 2017 में पाक महीने रमजान की शुरुआत 27 या 28 मई से होगी. अगर चांद 26 मई को देखा गया, तो रमजान 27 मई से शुरू माना जाएगा. रमज़ान का मतलब होता है प्रखर. रमज़ान इस्‍लाम कैलेंडर का नौवां महीना होता है. माना जाता है कि सन् 610 में लेयलत उल-कद्र के मौके पर मुहम्‍मद साहब को कुरान शरीफ के बारे में पता चला था. बस उसी समय से रमजान के इस माह को एक पवित्र महीने के तौर पर मनाया जाने लगा. रमज़ान के दौरान एक महीने तक रोज़े रखे जाते हैं. इस दौरान, बुरी आदतों से तौबा की जाती है. नए चांद के साथ शुरू हुए रोजे 30 दिन बाद नए चांद के साथ ही खत्‍म होते है. 

रोजे के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. रोजे को निभाने के लिए कई नियम भी होते हैं. - 


  • रोज़े का मतलब यह नहीं है कि आप खाएं तो कुछ न, लेकिन खाने के बारे में सोचते रहें. रोजे के दौरान खाने के बारे में सोचन भी नहीं चाहिए. 

  • इस्लाम के अनुसार पांच बातें करने पर रोज़ा टूटा हुआ माना जाता है. ये पांच बातें हैं- बदनामी करना, लालच करना, पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना और झूठी कसम खाना.

  • रोजे का मतलब बस उस अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही नहीं है. इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रोज़ा रखा जाता है. इस बात का मतलब यह है कि न ही तो इस दौरान कुछ बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें. 

  • रोजे का मुख्य नियम यह है कि रोजा रखने वाला मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी न खाए. 

  • रोजे के दौरान औरत के लिए मन में बुरे विचार या शारीरिक संबंधों के बारे में सोचने पर भी मनाही होती है. 

  • सहरी, रोजे का अहम हिस्सा है. सहरी का मतलब होता है सुबह. रोजे का नियम है कि सूरज निकलने से पहले ही उठकर रोज़दार खाना-पीना करे. सूरज उगने के बाद रोजदार सहरी नहीं ले सकते. 

  • सहरी की ही तरह रोजे का दूसरा अहम हिस्सा है इफ्तार. सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है. सूरज अस्त हो जाने के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं.

  • रमजान के दौरान मन को भी शुद्ध रखना होता है. मन में किसी के लिए बुरे ख्याल नहीं लाने होते और पांच बार की नमाज़ और कुरान पढ़ी जाती है.

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