Lord Jaggannath Rath Yatra 2020: आज सुबह शुरू हुई रथ यात्रा
नई दिल्ली: आज सुबह भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की रथ यात्रा (Rath Yatra) ओड़िशा के पुरी में शुरू हो गई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अपना फैसला बदलते हुए जगन्नाथ यात्रा को मंजूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा हर साल की तरह इस साल भी रथ यात्रा करने की इजाजत तो दे दी लेकिन कोविड-19 के कारण हमेशा की तरह इस साल यात्रा में श्रद्धालु शामिल नहीं हो सकेंगे.
भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और माता सुभद्रा की प्रतिमाओं को हर साल मंदिर से बाहर निकाला जाता है. इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल आषाढ़ के महीने में किया जाता है. भगवान जगन्नाथ और उनके दो भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा की वार्षिक यात्रा का जश्न 9 दिन तक मनाया जाता है.
12वीं सदी में बनाए गए जगन्नाथ मंदिर में सुबह तीन बजे ही रसमों को शुरू कर दिया गया था. इसके बाद सुबह 7 बजे भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को रथ में सवार कर दिया गया. इसके बाद दोपहर को रथ यात्रा की शुरुआत की गई.
भगवान जगन्नाथ के रथ की लंबाई 45.6 फीट है और इसमें 18 पहिए लगे हुए हैं. वहीं भगवान बलभद्र का रथ भगवान जगन्नाथ के रथ से थोड़ा छोटा है. भगवान बलभद्र के रथ की लंबाई 45 फीट है और इसमें 16 पहिए लगे हुए हैं. माता सुभद्रा के रथ की लंबाई 44.6 फीट है और इसमें 14 पहिए लगे हुए हैं.
आपको बता दें रथ यात्रा के लिए हर साल नए रथ बनाए जाते हैं और इसमें मुख्य रूप से फसी, भुनरा और आसन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. भगवान जगन्नाथ के रथ को ले जाए जाने से पहले ''राजा'' सुनहरी झाड़ू से सड़क साफ करते हैं. वहीं पुजारी खूबसूरत पंखों से भगवान को हवा करते हैं. इसके साथ ही पुजारी श्लोक पढ़ते हैं और घंटी बजाते हैं.
रथ यात्रा के बारे में बात करते हुए ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, ''इस साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन करना काफी चुनौतीपूर्ण है. राज्य सरकार ने 41 घंटों के लिए राज्य में कर्फ्यू लगा दिया है, जो सोमवार रात को 8 बजे शुरू हो गया था. इसके बाद पुरी में सैनेटाइजेशन का काम किया गया.''
अवॉर्ड विनिंग सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने भी लोगों को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए आर्ट बनाई है.
पुरी में रथ यात्रा के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है.