कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम से पहला जत्था रवाना 

पिछले साल डोकलाम मुद्दे पर टकराव के चलते चीन ने सिक्किम मार्ग से होने वाली यात्रा रोक दी थी.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम से पहला जत्था रवाना 

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

सिक्किम में नाथू ला दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 33 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को शनिवार को हरी झंडी दिखाई गई. अतिरिक्त मुख्य सचिव एस सी गुप्ता ने तीर्थयात्रियों को आगे की यात्रा पर ले जा रही सिक्किम राष्ट्रीयकृत परिवहन (एस एन टी) बस को हरी झंडी दिखाई. कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) दो मार्ग हैं. गौरतलब है कि पिछले साल डोकलाम मुद्दे पर टकराव के चलते चीन ने सिक्किम मार्ग से होने वाली यात्रा रोक दी थी. गुप्ता ने तीर्थयात्रियों को नियम एवं शर्तों के बारे में समझाया और उनसे आग्रह किया कि वे एक - दूसरे के साथ तथा सहायक स्टाफ के साथ सहयोग करें.

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पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन सचिव सी पी ढाकल , भारत तिब्बत सीमा पुलिस के उपमहानिरीक्षक के डी द्विवेदी , उप कमांडेंट गणेश रोहतेला और सिक्किम पर्वतारोहण एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंजांग गायत्सो ने भी तीर्थयात्रियों से बातचीत की. तीर्थयात्री मौसम अनुकूलन के लिए दो दिन 15th माइल और दो दिन शेराथांग में रुकेंगे. चीन की सीमा में प्रवेश करने से पहले नाथू ला में 20 जून को उनकी अंतिम चिकित्सा जांच होगी. ध्यान हो कि इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra 2018) के लिए चुने गए तीर्थयात्रियों के नाम की घोषणा कर दी गई है.

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ड्रॉ कंप्‍यूटर की मदद से निकाले गए थे. इस साल की तीर्थयात्रा के लिए निकाले गए ड्रॉ की अध्यक्षता विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की. इस मौके पर सुषमा स्वराज ने कहा, 'जिन लोगों का नाम कंप्यूटरीकृत ड्रॉ में आया है उन्हें एसएमएस और ईमेल के जरिए भी सूचित किया जाएगा.ड्रॉ के बाद तीर्थयात्री अपने जत्थे के बदलाव के लिए ऑनलाइन या कॉल कर अनुरोध कर सकते हैं.'

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कैलाश मानसरोवर यात्रा आठ जून से शुरू हो रही है, जो चार महीनों तक चलेगी.आवेदकों की अपने परिवार के सदस्यों को लेकर चिंता को देखते हुए परिवार के चार सदस्य भी उसी जत्थे में जा सकेंगे. पिछले साल की तरह ही इस बार भी पहली बार आवेदन कर रहे लोगों, डॉक्‍टरों और मैरिड कपल्‍स को प्राथमिकता दी जाएगी. गौरतलब है कि यात्रा के दौरान 60-60 तीर्थयात्रियों वाले 18 जत्थे लीपूलेख मार्ग से जाएंगे, जबकि 50-50 तीर्थयात्रियों वाले 10 जत्थे नाथू ला मार्ग से जाएंगे. नाथू ला मार्ग को ज्यादा दुर्गम माना जाता है. (इनपुट भाषा से)  


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