Kanya Pujan 2018: नवमीं के दिन कन्या पूजन के लिए हैं दो शुभ मुहूर्त, जानिए कंजक करने का सही तरीका भी

Kanya Pujan 2018: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की अष्टमी 17 अक्टूबर और नवमीं 18 अक्टूबर को मनाई जा रही है. इस बार अष्टमी पर कन्या पूजन के दो मुहूर्त हैं, अगर सुबह कंजक ना बिठा पाएं हो तो इस समय करें कन्या पूजन.

Kanya Pujan 2018: नवमीं के दिन कन्या पूजन के लिए हैं दो शुभ मुहूर्त, जानिए कंजक करने का सही तरीका भी

Kanjak 2018: कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

नई दिल्ली:

Kanjak - Kanya Pujan 2018: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की अष्टमी 17 अक्टूबर और नवमीं 18 अक्टूबर को मनाई जा रही है. 10 अक्टूबर से हुए शुरू नवरात्रि (Navratri) के आखिरी दो दिनों में कन्या पूजन (Kanya Pujan) की परपंरा होती है. कन्या पूजन के लिए सभी घरों में काफी दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. अष्टमी (Durga Ashtami) और नवमीं (Durga Navami) वाले दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाने के साथ-साथ उन्हें तोहफे और लाल चुनरी उड़ाना भी शुभ माना जाता है. लेकिन यह काम शुभ मुहूर्त (Kanya Pujan Shubh Muhurat) पर हो तब. क्योंकि कलश स्थापना या फिर पूजा विधि की ही तरह कन्या पूजन (Kanya Pujan) का एक सही समय होता है और हर बाद अष्टमी और नवमीं दोनों दिन कन्याओं के पूजन का समय अलग होता है. आप जिस भी दिन माता का पूजन कर रहे हैं, पहले यहां शुभ मुहूर्त देखें और साथ ही जानें कन्याओं को पूजने का सही तरीका. 

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अष्टमी यानी कि 17 अक्टूबर के लिए कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त
सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक.
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक.

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नवमी यानी कि 18 अक्‍टूबर 2018 को कन्‍या पूजन के दो शुभ मुहूर्त
सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 54 मिनट तक.
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक.

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Kanya Pujan 2018

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अष्टमी और नवमीं दोनों दिन के लिए जानें कन्या पूजन का सही तरीका :

1. सुबह उठकर नहाने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश का पूजा करें, जैसे कि हर शुभ काम से पहले करते हैं. उसके बाद अष्टमी के दिन महागौरी (Mahagauri) और नवमीं के दिन सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की पूजा करें. महागौरी की पूजा करते वक्त गुलाबी रंग पहनें और सिद्धिदात्री की पूजा करते वक्त बैंगनी रंग पहनें. 

2. कन्या पूजन के लिए सिर्फ 2 से 10 साल तक की कन्याओं को ही बुलाएं. क्योंकि दो साल तक की कन्याओं को पूजने से घर में दुख और दरिद्रता दूर होती है. तीन साल की कन्या को पूजने से घर में धन की वृद्धि होती है और घर खुशियां आती हैं. चार साल की कन्या को पूजने से परिवार का कल्याण होता है और पांच साल की कन्या की पूजा करने से घर में रोग से मुक्ति होती है. छह साल की कन्या घर में विद्या लाती है, सात साल की कन्या को पूजने से ऐश्वर्य मिलता है, आठ साल की कन्या को पूजने से किसी भी वाद-विवाद में वियज की प्राप्ति होती है. नौ वर्ष की कन्या को पूजने से शत्रुओं का नाश होता है और दस साल की कन्या की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

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3. कन्याओं को कभी भी जबरदस्ती या क्रोध में या फिर जल्दबाज़ी में ना बुलाएं. बल्कि एक दिन पहले कन्याओं को उनके घर जाकर आमंत्रित करें. अगर कोई कन्या ना हो तो सुबह प्यार से हाथ जोड़कर उन्हें घर में प्रवेश कराएं.

4. कन्या को बुलाने से पहले ही घर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें. गंदे घर में कन्याओं का पूजन नहीं किया जाता. उनके घर में प्रवेश करने के दौरान ही माता के जयकारे लगाएं जैसे :
प्रेम से बोलो जय माता दी 
सारे बोलो जय माता दी 
मिलके बोलो जय माता दी 
जोर से बोलो जय माता दी 

हंसके बोलो जय माता दी 
शेरावाली जय माता दी 
लाटां वाली जय माता दी 
पर्वत वाली जय माता दी 

5. कन्याओं को घर में जयकारे के साथ बुलाने के बाद साफ आसन बिछाएं और फिर कन्याओं के पैर धोएं. उनके माथे पर रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. 

6. कन्याओं के हाथों में मौली बांधे. सभी कन्याओं की घी के दीपक दिखाकर आरती उतारें. आरती के बाद कन्याओं को पूरी, हलवा और चने का बना प्रसाद खिलाएं. कन्याएं जब तक और जितना खाएं उन्हें टोके नहीं. 

7. भोग के बाद कन्याओं को भेंट और उपहार दें. आखिर में उनके पैर छूकर घर के बाहर तक विदा करें.

8. अगर आप अष्टमी या नवमीं वाले दिन कन्या पूजन ना कर पाएं तो नवरात्रि के हर दिन एक दिन एक-एक कन्या को पूज सकते हैं. साथ ही अगर अष्टमी या नवमीं वाले दिन कन्याओं की संख्या नौ या उससे कम या फिर ज्यादा हो जाएं तो कोई फर्क नहीं पड़ता.

9. साथ ही याद रखें कि कन्याओं को सिर्फ अष्टमी या नवमीं वाले दिन ही नहीं बल्कि साल के हरेक दिन उनका सम्मान करें. 
 
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Kanya Pujan 2018

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