
Krishna: 'जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.'
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
'क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ में डरते हो?' कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है.'
'क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.'
'जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है.'
'जीवन में कोई भी काम करने से पहले खुद का आकलन करना बहुत जरूरी होता है. साथ ही अगर किसी काम को करते समय अनुशासित नहीं रहते हो तो कोई काम ठीक से नहीं होता है.'
'जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.'
'परिवर्तन संसार का नियम है. यहां सब बदलता रहता है. इसलिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय, मान-अपमान आदि में भेदों में एक भाव में स्थित रहकर हम जीवन का आनंद ले सकते हैं.'
'मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है. जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है.'
'व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.'
'किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े.'
'जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं.'