Krishna Janmashtami 2017: जानें, क्यों जन्माष्टमी पर पालने में झुलाए जाते हैं कान्हा

भगवान श्रीकृष्ण ने बालकाल में ज्यादातर कलाएं पालने में लेटे-लेटे ही दिखाया था.

Krishna Janmashtami 2017: जानें, क्यों जन्माष्टमी पर पालने में झुलाए जाते हैं कान्हा

Krishna Janmashtami 2017: भगवान श्रीकृष्ण को पालना बेहद पसंद है.

खास बातें

  • हिन्दुओं के लिए जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत ही महत्व है
  • श्रीकृष्ण को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है
  • ष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के भक्त पूरी विधि-विधान के साथ उपवास करते हैं
नई दिल्ली:

देश-दुनिया में लोग भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी (Janmashtami 2017) सेलिब्रेट कर रहे हैं. जन्माष्टमी पर व्रत रखने वाले भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के दौरान कुछ खास विधि जरूर करते हैं. इन्हीं में से एक है कान्हा को पालने पर झुलाना. नई जेनरेशन के लोगों के दिमाग में अक्सर सवाल उठता है कि आखिर जन्माष्टमी पर पूजा के दौरान पालने पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को क्यों झुलाया जाता है?

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दरअसल, कृष्णाश्रयी शाखा से जुड़े भक्त इस सवाल का उत्तर कई पहलूओं से समझाते हैं. उन्हीं में से एक यह है कि जन्माष्टमी को व्रतराज कहा जाता है. यानी सभी व्रतों में प्रमुख. वे कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने बालकाल में ज्यादातर कलाएं पालने में लेटे-लेटे ही दिखाया था. इसी वजह से जन्माष्टमी की पूजा में कोशिश की जाती है कि पालने का इंतजाम जरूर हो.

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दूसरा पहलू यह है कि मां यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को अक्सर पालने में रखती थीं, जिसके चलते उन्हें पालना बेहद पसंद है. मान्यता है कि जन्माष्टमी की पूजा के दौरान अगर व्रत रखने वाले पालने में नंद गोपाल को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 

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मथुरा और आसपास के इलाकों में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को पालने में झुलाने पर संतान से स्नेह बढ़ता है. इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि मां यशोदा जब कभी अपने कान्हा को पालने में लेटे हुए देखती थीं तो वह काफी आनंद महसूस करती थीं. मान्यता है कि नंदगोपाल को पालने में झुलाने के दौरान जो ठीक वैसी ही अनुभूति होती है, जिसका सकारात्मक असर मां-पुत्र-पुत्री के प्रेम में भी झलकता है.


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