Navratri 2019: नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाती हैं मां ब्रह्मचारिणी, जानिए पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती

Navratri 2019: ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर की पत्नी बनने के लिए तपस्या की. इसी तपस्या की वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.

Navratri 2019: नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाती हैं मां ब्रह्मचारिणी, जानिए पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती

Maa Brahmacharini 2019: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है

खास बातें

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्ममचारिणी की पूजा की जाती है
  • ब्रह्मचारिणी को पर्वत राज हिमालय की पुत्री माना जाता है
  • मां ब्रह्ममचारिणी को दूध से बने पकवान अतिप्रिय हैं
नई दिल्‍ली:

Navratri 2019: नवरात्रि (Navratri) के दूसरे दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी को तप की देवी कहा जाता है. मान्‍यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया. वह सालों तक भूखी-प्यासी रहकर शिव को प्राप्त करने की इच्छा पर अडिग रहीं. इसीलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है. ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी माता का यही रूप कठोर परिश्रम की सीख देता है, कि किसी भी चीज़ को पाने के लिए तप करना चाहिए. बिना कठिन तप के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता.

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ब्रह्मचारिणी माता की कहानी
मान्‍यताआों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. देवर्षि नारद जी के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर की पत्नी बनने के लिए तपस्या की. इन्हें ब्रह्मा जी ने मन चाहा वरदान भी दिया. इसी तपस्या की वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इसके अलावा मान्यता है कि माता के इस रूप की पूजा करने से मन स्थिर रहता है और इच्छाएं पूरी होती हैं. 

मां ब्रह्मचारिणी का स्‍वरूप
मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता के एक हाथ में जप की माला और दूसरे में कमंडल रहता है. वह किसी वाहन पर सवार नहीं होती बल्कि पैदल धरती पर खड़ी रहती हैं. सिर पर मुकुट के अलावा इनका श्रृंगार कमल के फूलों से होता है. हाथों के कंगन, गले का हार, कानों के कुंडल और बाजूबंद सभी कुछ कमल के फूलों का होता है.

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ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
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सबसे पहले सुबह नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें. 
- अब ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर स्थापित करें.
- माता के चित्र या मूर्ति पर फूल चढ़ाकर दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें. 
- मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री पसंद है. इसलिए उन्‍हें चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग चढ़ाएं. माता को दूध से बने व्‍यंजन भी अतिप्रिय हैं.
- इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें.

देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र 
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता 
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता 
ब्रह्मा जी के मन भाती हो 
ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा 
जिसको जपे सकल संसारा 
जय गायत्री वेद की माता
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता 
कमी कोई रहने न पाए
कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने 
जो ​तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर 
आलस छोड़ करे गुणगाना 
मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी 
रखना लाज मेरी महतारी

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