शो-रुम और दूकान के लिए क्या कहता है भारतीय वास्तुशास्त्र, जानें उपयोगी वास्तु टिप्स

शो-रुम और दूकान के लिए क्या कहता है भारतीय वास्तुशास्त्र, जानें उपयोगी वास्तु टिप्स

भारतीय वास्तुशास्त्र के ग्रन्थों में हर उस जगह के लिए विधान निश्चित किए गए हैं, जिनका मानव से वास्ता पड़ता है. दूकान और व्यवसाय स्थलों के लिए इन ग्रन्थों में विस्तृत चर्चाएं मिलती है. प्रस्तुत है कुछ चुनींदा वास्तु टिप्स जिसे हर व्यवसायी को जानना चाहिए.

किसी शो-रूम या दूकान का पूर्वमुखी होना शुभ और दक्षिणमुखी होना अशुभ बताया जाता है, लेकिन यह केवल एक भ्रान्ति है. यह विधान घर के लिए अधिक उपयुक्त है, दूकान के लिए यह विशेष उपयोगी नहीं है.

किसी शो-रूम या दूकान का मेनगेट और दीवार के बीच में होना अच्छा होता है. दूकान के अंदर बिक्री का सामान रखने के लिए सैल्फ, अलमारियां, शोकेस और कैश काउंटर उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना अच्छा माना जाता है.

शो-रूम या दूकान के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर या इष्टदेव की फोटो को लगाया जा सकता है. इस हिस्से में पीने का पानी भी रखा जाना अच्छा होता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक बिजली के उपकरणों को रखने या स्विच बोर्ड लगाने के लिए शो-रूम या दूकान का दक्षिण-पूर्व हिस्सा उचित माना जाता है.

शो-रूम या दूकान के काउंटर पर खड़े विक्रेता का मुंह पूर्व या उत्तर की ओर और ग्राहक का मुंह दक्षिण या पश्चिम की ओर होना बेहतर माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार शो-रुम या दूकान का कैशबाक्स हमेशा दक्षिण और पश्चिम दीवार के सहारे होना उपयुक्त माना जाता है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार दूकान के मालिक या मैनेजर को दूकान के दक्षिण-पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए. दूकान में कैश काउंटर, मालिक या मैनेजर के स्थान के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए. यदि कार्यस्थल पर छोटी किचन है तो इसकी दिशा दक्षिण-पूर्व में बनाना बहुत अछा होता है. दूकान या शोरूम में पूर्व और उत्तर में शीशे का प्रयोग करना बढिया रहता है.


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