यहां मन्नत के लिए गाड़नी पड़ती मंदिर की दहलीज में कील, बेहद निराश और सताए हुए लोग आते हैं यहां

यहां मन्नत के लिए गाड़नी पड़ती मंदिर की दहलीज में कील, बेहद निराश और सताए हुए लोग आते हैं यहां

देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश का कुल्लू न केवल अपनी शानदार दशहरा बल्कि यह लोक देवी-देवताओं के अनोखेपन के लिए भी जाना जाता है। यहां की बंजार घाटी के पुजाली नामक स्थान पर एक ऐसा देवस्थल है, कहते हैं वहां सच्चे इंसान को न्याय दिलाने में भगवान भी सहायक होते हैं।
 
माता राजराजेश्वरी महामाया पांचाली का दरबार है यह...
बंजार घाटी के पुजाली नामक स्थान पर माता राजराजेश्वरी महामाया पांचाली का दरबार है। कहते हैं, वैसे इंसान जिन्हें सुनने वाला कोई न हो और वह सच्चा हो तो यहां उसकी मन्नत पूरी होती है।
 
मंदिर की दहलीज पर कील गाड़ते हैं श्रद्धालु...
लोगों का मानना है कि यदि इंसान सच्चा हो तो ऐसे में इस माता के दरबार में न्याय जरुर मिलता है। लेकिन उस इंसान को यहां अपनी मन्नत पूरी करने के लिए मंदिर की दहलीज में लोहे की कील गाड़नी पड़ती है। लोक विश्वास है कि जिस व्यक्ति के नाम की कील गाड़ी जाती है, उस पर देवी माता का कोप होता है।
 
समय रहते कील निकलना है जरुरी, वरना...
लेकिन लोग यह भी कहते हैं कि कील गाड़ने वाले इंसान का सच्चा और बुरी तरह सताया हुआ जरुर होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है और बदले की भावना से यह करता है, तो इस मन्नत का परिणाम उल्टा हो जाता है। यहां देव समाज से जुड़े लोगों की मान्यता है कि यदि वह सच्चा श्रद्धालु, जिसने मन्नत मांगी हो, समय रहते कील नहीं निकालता है, तो जिस इंसान के नाम कील गाड़ी जाती है, उसके वंश नाश भी हो जाता है।


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