Shradh 2019: 21 सितंबर को अष्‍टमी और 22 को होगा नवमी का श्राद्ध, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Shradh 2019: दिवंगत पिता का श्राद्ध अष्‍टमी (Ashtami Sraddha) के दिन और मां का श्राद्ध नवमी (Navami Sraddha) के दिन किया जाता है. अगर कोई महिल सुहागिन मृत्‍यु को प्राप्‍त हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए. 

Shradh 2019: 21 सितंबर को अष्‍टमी और 22 को होगा नवमी का श्राद्ध, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

अष्‍टमी और नवमी श्राद्ध की पूजा-विधि

नई दिल्ली:

Shradh 2019: पितृ पक्ष (Pitru paksha) में श्राद्ध करने का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दौरान पितर स्‍वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार अगर पितृ पक्ष में विधिवत् श्राद्ध, पिंड दान (Pind Daan) और तर्पण (Tarpan) किया जाए तो दिवंगत आत्‍मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्‍न होकर लौटते हैं. वैसे तो कुल 16 श्राद्ध (16 Shradh) होते हैं, लेकिन अष्‍टमी (Ashtami Sraddha) और नवमी के श्राद्ध (Navami Sraddha) का महात्‍म्‍य ज्‍यादा है. वैसे दिवंगत परिजन की मृत्‍यु की तिथ‍ि में ही श्राद्ध किया जाता है. यानी कि अगर परिजन की मृत्‍यु प्रतिपदा के दिन हुई है तो प्रतिपदा के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए. आमतौर पर पितृ पक्ष में इस तरह श्राद्ध की तिथ‍ि का चयन किया जाता है: 

- जिन परिजनों की अकाल मृत्‍यु या किसी दुर्घटना या आत्‍महत्‍या का मामला हो तो श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है. 
- दिवंगत पिता का श्राद्ध अष्‍टमी के दिन और मां का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है. 
- जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो या पता न हो तो अमावस्‍या के दिन श्राद्ध करना चाहिए. 
- अगर कोई महिल सुहागिन मृत्‍यु को प्राप्‍त हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए. 
- संन्‍यासी का श्राद्ध द्वादशी को किया जाता है. 

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अष्‍टमी और नवमी का श्राद्ध कब है?
हिन्‍दू पंचांग के मुताबिक पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं. इस बार अष्‍टमी का श्राद्ध 21 सितंबर को है जबकि नवमी का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जाएगा  

अष्‍टमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 21 सितंबर  2019 को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 22 सितंबर 2019 को  रात 07 बजकर 50 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 22 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक 
कुल अवधि: 48 मिनट
रोहिण मुहूर्त: 22 सितंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक 
कुल अवधि: 48 मिनट 
अपराह्न काल: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 24 मिनट

नवमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर  2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट से
नवमी तिथि समाप्‍त: 23 सितंबर 2019 को  रात 06 बजकर 37 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 23 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक 
कुल अवधि: 48 मिनट
रोहिण मुहूर्त: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 25 मिनट तक 
कुल अवधि: 48 मिनट
अपराह्न काल: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से दोपहर 03 बजकर 49 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 24 मिनट

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श्राद्ध कैसे करें?
- श्राद्ध की तिथि का चयन ऊपर दी गई जानकारी के मुताबिक करें. 
- श्राद्ध करने के लिए आप किसी विद्वान पुरोहित को बुला सकते हैं. 
- श्राद्ध के दिन अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार अच्‍छा खाना बनाएं. 
- खासतौर से आप जिस व्‍यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के मुताबिक खाना बनाएं. 
- खाने में लहसुन-प्‍याज का इस्‍तेमाल न करें. 
- मान्‍यता है कि श्राद्ध के दिन स्‍मरण करने से पितर घर आते हैं और भोजन पाकर तृप्‍त हो जाते हैं. 
- इस दौरान पंचबलि भी दी जाती है. 
- शास्‍त्रों में पांच तरह की बलि बताई गई हैं: गौ (गाय) बलि, श्वान (कुत्ता) बलि, काक (कौवा) बलि, देवादि बलि, पिपीलिका (चींटी) बलि. 
- यहां पर बलि का मतलब किसी पशु या जीव की हत्‍या से नहीं बल्‍कि श्राद्ध के दौरान इन सभी को खाना खिलाया जाता है. 
- तर्पण और पिंड दान करने के बाद पुरोहित या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. 
- ब्राह्मण को सीधा या सीदा भी दिया जाता है. सीधा में चावल, दाल, चीनी, नमक, मसाले, कच्‍ची सब्जियां, तेल और मौसमी फल शामिल हैं. 
- ब्राह्मण भोज के बाद पितरों को धन्‍यवाद दें और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए माफी मांगे. 
- इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन करें.

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