Somvati Amavasya 2020: सोमवती अमावस्या पर 20 साल बाद बना ये शुभ योग, जानें पूजा विधि और महत्व

Somvati Amavasya 2020: हिंदू धर्मा में कई सारे लोग अमावस्या पर पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्मों को पूरा करते हैं और इसे बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं. इसके अलावा कालसर्प दोष पूजा के लिए भी अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है.

Somvati Amavasya 2020: सोमवती अमावस्या पर 20 साल बाद बना ये शुभ योग, जानें पूजा विधि और महत्व

Somvati Amavasya 2020: आज देशभर में मनाई जा रही है सोमवती अमावस्या.

नई दिल्ली:

Somvati Amavasya 2020: सावन के महीने में पड़ने वाली इस अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म के लोगों में बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) 20 जुलाई को मनाई जा रही है. बता दें, हिंदू धर्मा में कई सारे लोग अमावस्या पर पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्मों को पूरा करते हैं और इसे बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं. इसके अलावा कालसर्प दोष पूजा के लिए भी अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है. जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सावन में आने वाली इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavsya) के नाम से भी जाना जाता है. 

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहुर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ- जुलाई 20, 2020 को सुबह 12.10 से प्रारंभ
अमावस्या तिथि समाप्त- जुलाई 20, 2020 को रात 11.02 पर समाप्त

कई सालों बाद बना ऐसा संयोग
इस साल सावन के महीने में कई विशेष संयोग बन रहे हैं. दरअसल, सावन की शुरुआत सोमवार से हुई थी और सोमवार को ही सावन का महीना खत्म हो रहा है. श्रावण पूर्णिमा और अमावस्या भी इस बार सोमवार के दिन ही पड़ रही हैं. बता दें, इस तरह का संयोग लगभग 20 साल बाद बना है. 

सोमवती अमावस्या पर करें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ-साथ गणेश और कार्तिकेय की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन जलाभिषेक करना भी बेहद फलदायी माना जाता है. कई लोग पूजा के साथ-साथ सोमवती अमावस्या पर व्रत भी रखते हैं. वहीं महिलाएं अमावस्या पर तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करती हैं. सावन को हरियाली के महीने के रूप में जाना जाता है. इस वजह से अमावस्या पर कई लोग पौधरोपण भी करते हैं. सोमवती अमावस्या पर स्नान और दान का भी विशेष महत्व है. 

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पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठ के स्नान कर लें और स्वच्छ कपड़े धारण कर लें.
- इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. 
- पीपल के वृक्ष की पूजा रें. 
- दान-दक्षिणा करें.