लाहौर में ढहाये गए मंदिर की मूर्ति गायब, जैन समुदाय की नाराजगी बढ़ी

लाहौर में ढहाये गए मंदिर की मूर्ति गायब, जैन समुदाय की नाराजगी बढ़ी

प्रतीकात्मक चित्र

इंदौर:

पाकिस्तान के लाहौर में सदियों पुराने जैन मंदिर के भग्नावशेषों को अदालती आदेश को दरकिनार करते हुए पिछले महीने ढहा दिये जाने के मसले में जैन समुदाय की नाराजगी बढ़ गयी है। इस समुदाय को यह जानकर गहरा धक्का लगा है कि उसके प्राचीन मंदिर की पवित्र मूर्ति का कोई अता-पता नहीं है। 

जैन समुदाय के एक संगठन ‘जैन युवा संगठन’ ने भारत सरकार से मांग की है कि वह इस मसले में पाकिस्तान के सामने आधिकारिक तौर पर अपना विरोध दर्ज कराये। 

सन 1992 में नष्ट कर दिया गया मंदिर
संगठन के संयोजक अनुरोध ललित जैन ने बताया, ‘हमने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अनुरोध किया था कि वह लाहौर के जैन मंदिर विध्वंस मसले में वस्तुस्थिति का पता लगायें। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क साधने के बाद हमें बताया है कि इस मंदिर को वर्ष 1992 में उग्र जनसमूह ने तहस-नहस कर दिया था और तब से इस देवस्थान में न तो पूजा की जा रही थी, न ही वहां कोई मूर्ति थी।’ 

उन्होंने बताया, ‘हम लाहौर के करीब 1,000 साल पुराने जैन मंदिर के नामो-निशान सिलसिलेवार तरीके से मिटाये जाने से बेहद आहत हैं। हमें संदेह है कि इस मंदिर की मूर्ति भी जान-बूझकर गायब की गयी है। हम चाहते हैं कि भारत सरकार इस मसले में पाकिस्तान के सामने अपना आधिकारिक विरोध दर्ज कराये।’ 

भारत सुनिश्चित करे कि मंदिर महफूज रहे: अपील
जैन ने कहा, ‘हम पाकिस्तान में जैनों, हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के मंदिरों की सुरक्षा को लेकर खासे चिंतित हैं। लिहाजा हम अपील करते हैं कि भारत को कूटनीतिक तरीकों से यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ये मंदिर महफूज बने रहें।’ 

लाहौर हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के 200 फुट के दायरे में मेट्रो लाइन के सभी काम रोकने का आदेश दिया था। लेकिन पाकिस्तान स्थित पंजाब की शाहबाज शरीफ सरकार ने इस अदालती आदेश का उल्लंघन करते हुए प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावशेष फरवरी में ढहा दिये थे। 

बाबरी ढांचे के विध्वंस बदले ढहाई गई थी मंदिर
वर्ष 1992 में भारत में बाबरी ढांचे के विध्वंस की प्रतिक्रिया के रूप में लाहौर में उग्र जनसमूह ने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। 

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पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने जब मेट्रो लाइन बिछाने के नाम पर इस मंदिर परिसर के निर्माणों को पिछले महीने हटाया, तब वहां निजी दुकानें और लाहौर वेस्ट मैनेजमेंट कम्पनी (एलडब्ल्यूएमसी) का दफ्तर भी चल रहा था।