मंगलवार पर विशेष: विवाहित थे हनुमान, था एक पुत्र भी, फिर भी क्यों माने गए ब्रह्मचारी!

एक पुत्र होन के बावजूद हनुमान ब्रह्मचारी कैसे माना जाता है, तो इसके पीछे भी एक कथा है.

मंगलवार पर विशेष: विवाहित थे हनुमान, था एक पुत्र भी, फिर भी क्यों माने गए ब्रह्मचारी!

हिंदू देवता हनुमान महाऋषि गौतमी की बेटी अंजनी के गर्भ से पैदा हुए और वे महान राम भक्त बने. हिंदुओं के भगवान हनुमान को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है, लेकिन फिर भी पुराणों और कथाओं में उनके बेअै  लेकिन कई कथाओं में उनके एक पुत्र के बारे में सुना जाता है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि उनका भी एक पुत्र था. एक पुत्र होन के बावजूद हनुमान ब्रह्मचारी कैसे माना जाता है, तो इसके पीछे भी एक कथा है. हनुमान के पुत्र का नाम मकरध्वज था. एक पुत्र होने के बाद भी आखि‍र हुनमान  ब्रह्मचारी ही क्यों कहलाते रहे. तो इसका उनके विवाह से कोई संबंध नहीं है. आइए जानें भगवान हनुमान से जुड़ी इस कथा के बारे में- 

विवाह से जुड़ी मान्यता
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि हनुमान ने सूर्य देव से शिक्षा ली थी. मान्यता के अनुसार सूर्य देव ने शिक्षा लेते समय एक शर्त रखी थी कि वो आगे कि शिक्षा तभी ले सकते हैं तब विवाह कर लें. क्योंकि सूर्य देव आगे कि शिक्षा केवल विवाहित व्यक्ति को ही देते थे. क्योंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे इसलिए यह उनके लिए एक चिंता का विषय था. हनुमान ने आजीवन ब्रह्मचारी होने का प्रण लिया हुआ था. ऐसे में यह उनके लिए और भी बड़ी दुविधा की बात थी. 

इस कथा के अनुसार जब सूर्य देव ने देखा कि हनुमान इस कठिन परीक्षा से परेशान हो गए हैं और दुविधा में आ गए हैं, तो सूर्य देव ने हनुमान को अपनी बेटी से विवाह का प्रस्ताव दिया. सूर्य की बेटी का नाम सुवर्चला था और वह स्वयं एक तपस्विनी थी. 

लेकिन सुवर्चला स्वयं भी विवाह नहीं करना चाहती थीं. वह खुद भी हनुमान की ही तरह विवाह नहीं रचाना चाहती थी. परंतु पिता की बात का मान रखने के लिए सुवर्चला ने शादी के लिए हां कर दी. मान्यता के अनुसार हनुमान और सुवर्चला का विवाह तो हुआ, लेकिन विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तपस्या के लिए चली गई और  हनुमान अपनी शिक्षा पूरी कर अपना ब्रह्मचार्य के व्रत पर कायम रहे. 

पुत्र से जुड़ी मान्यता: 
अब अगर ऊपर वाली कथा से आप यह सोच रहे हैं कि हनुमान का पुत्र सुवर्चला से हुआ, तो आप गलत हैं. रामायण के अनुसार लंका दहन के दौरान आग की तेज गर्मी से हनुमान को पसीना आ गया. हनुमान के पसीने की एक बूंद सागर में जा गिरी. इस बूंद को एक मछली ने पी लिया और वह मछली गर्भवती हो गई. इसी मछली ने जन्म दिया मकरध्वज को.


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