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सुनो मेवात के दंगाइयों- तुमने अमन के चमन को लूटा है

सुनो मेवात के दंगाइयों- तुमने अमन के चमन को लूटा है

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1947 के बाद से अब तक मेवात आम तौर पर शांत ही रहा है. 1992 में कुछ संपोलों ने कोशिश जरूर की थी लेकिन उनके फन उठाने से पहले ही खुद मेवातियों ने अमन की बहाली कर दी.

आख़िर कौन रोकेगा BJP का विजय रथ...?

आख़िर कौन रोकेगा BJP का विजय रथ...?

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भारत का नेतृत्व एकमात्र वही दल कर सकता है, जिसके मुद्दे राष्ट्रीय हों, जिसकी सोच समग्र भारतीय चेतना का प्रतिनिधित्व करती हो और जो शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और सुरक्षा जैसे मुद्दों की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को समझता हो. ऐसे में BJP का ईमानदार विकल्प कांग्रेस शायद ही कभी हो सकती है.

कर्नाटक CM की रेस में सिद्धारमैया चल रहे हैं आगे

कर्नाटक CM की रेस में सिद्धारमैया चल रहे हैं आगे

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कर्नाटक में चुनाव से पहले हुए सर्वे में भी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों की पहली पसंद सिद्धारमैया ही रहे हैं. बाकी नेता तो उनकी लोकप्रियता में काफी पीछे थे.

त्वरित विश्लेषण- BJP के हाथ से क्यों फिसला कर्नाटक? ये 5 गलतियां पड़ी भारी

त्वरित विश्लेषण- BJP के हाथ से क्यों फिसला कर्नाटक? ये 5 गलतियां पड़ी भारी

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कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के कारणों की जितनी चर्चा हो रही है, उतनी ही या उससे ज्यादा चर्चा बीजेपी की हार की हो रही है.

कर्नाटक चुनाव नतीजे: दिल्ली से दक्षिण दूर है, और दक्षिण से दिल्ली की दूरी भी अधिक है

कर्नाटक चुनाव नतीजे: दिल्ली से दक्षिण दूर है, और दक्षिण से दिल्ली की दूरी भी अधिक है

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चौबीस के चुनाव से पहले कांग्रेस को इस जीत की बड़ी जरूरत थी लेकिन दवाई की इस छोटी डिबिया को बूस्टर डोज मानना भी भूल होगी. चौबीस का चौसर अलग है. वहां खेला अलग है.

बिलावल का गोवा आना...

बिलावल का गोवा आना...

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बिलावल भारत तब आए जब ये बिल्कुल साफ था कि भारत से कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बार-बार ये कहा कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.

तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

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टूटना हर हाल में बुरा होता है. कोई भी रिश्ता नहीं टूटना चाहिए लेकिन रिश्ते के न टूटने की कीमत व्यक्ति का टूटना तो नहीं हो सकता. इसलिए जब रिश्तों के अंदर इंसान मरने लगे, जज्बात मरने लगें तो जरूरी है रिश्ते की दहलीजों से पार निकलना और खुद को बचाना. लेकिन अब भी यह समाज सड़े-गले रिश्तों के झूठे 'सेलिब्रेशन' पर निसार रहता है और टूटे, सड़े, बजबजाते रिश्ते से बाहर निकलने की हिम्मत देने के बारे में सोच भी नहीं पाता. ऐसे में अगर कोई स्त्री तलाक भी ले और तलाक के बाद उसे सेलिब्रेट भी करे तो कैसे न होगा समाज के पेट में दर्द. तमिल टीवी अभिनेत्री शालिनी ने तलाक के बाद एक फोटोशूट कराकर जिसमें वह तलाक को मुक्ति के तौर पर देख रही हैं और मुक्ति का जश्न मना रही है, समाज की सड़ी गली सोच को अंगूठा दिखाया है. 

सदस्यता मामले में राहुल का क्या है Plan-B

सदस्यता मामले में राहुल का क्या है Plan-B

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राहुल गांधी की प्राथमिकता इस वक्त इस लोकसभा की सदस्यता बचानी नहीं है. उनकी प्राथमिकता है कि सेशन कोर्ट में इस मामले को निरस्त करने की जो अपील डाली है और जिस पर 20 मई को सुनवाई है उस पर फोकस करना है.

कर्नाटक चुनाव में हर तरफ दिख रही है वंशवाद की छाया...

कर्नाटक चुनाव में हर तरफ दिख रही है वंशवाद की छाया...

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पिता-पुत्र, पिता-पुत्री, भाई-भाई, ससुर-बहू - सूची बेहद लम्बी हो सकती है, लेकिन फिर भी सम्पूर्ण नहीं है. कर्नाटक में जब राजनेता कहें कि पार्टी ही उनका परिवार है, तो यह सच भी हो सकता है.

विपक्ष में हो गया है कामों का बंटवारा

विपक्ष में हो गया है कामों का बंटवारा

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दरअसल, आठ मुख्यमंत्री - गैर-BJP और गैर-कांग्रेस - कुछ दिन पहले से ही सरकार चलाने की नीतियों को लेकर एक दूसरे के संपर्क में हैं, जिनमें केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं.

क्या नीतीश होंगे विपक्षी एकता के चाणक्य?

क्या नीतीश होंगे विपक्षी एकता के चाणक्य?

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विपक्षी नेताओं की रणनीति है कि भले ही कांग्रेस देशव्यापी दल होने के नाते इस गठबंधन का नेतृत्व करे मगर अभी नेता को लेकर बात ना कि जाए.

पायलट क्या उड़ान भर पाएंगे या रनवे पर ही रह जाएंगे?

पायलट क्या उड़ान भर पाएंगे या रनवे पर ही रह जाएंगे?

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सचिन पायलट के साथ दिक्कत है कि वह बीजेपी में जा नहीं सकते क्योंकि वहां वसुंधरा हैं, गजेन्द्र सिंह शेखावत हैं. दूसरा उनका धरना भी वसुंधरा के खिलाफ ही है तो विकल्प क्या है उनके पास?

एके एंटनी के बेटे के BJP में शामिल होने के क्या हैं सियासी मायने?

एके एंटनी के बेटे के BJP में शामिल होने के क्या हैं सियासी मायने?

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अनिल एंटनी का कोई राजनीतिक करियर नहीं रहा है लेकिन बीजेपी को इस फैसले से भी फायदा है.

आखिर क्यों रद्द हुआ ब्लिंकेन का चीन दौरा?

आखिर क्यों रद्द हुआ ब्लिंकेन का चीन दौरा?

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अब अमेरिका कई तरीके से चीनी समस्या से निपटने की कोशिश कर रहा है. यही वजह है कि इस महीने अमेरिका दो अहम चीज़ें कर रहा है.

उद्धव ठाकरे और BJP - फिर से 'साथ आने' को लेकर हो रही बात

उद्धव ठाकरे और BJP - फिर से 'साथ आने' को लेकर हो रही बात

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जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी, जिसकी वजह से शिवसेना का विभाजन हुआ. शिवसेना के विभाजन ने भाजपा को मौका दिया और वो शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर महाराष्ट्र में सत्ता में लौट आई.

जेल से जाएगा पत्रकारिता का रास्ता...?

जेल से जाएगा पत्रकारिता का रास्ता...?

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1989 में हिन्दी के महान साहित्यकार निर्मल वर्मा की एक कहानी प्रकाशित हुई. रात का रिपोर्टर. वक्त मिले तो इस कहानी को पढ़िएगा, आपको आज के उन पत्रकारों की मानसिक हालत दिख जाएगी जो गिनती के दस बीस रह गए हैं और पत्रकारिता कर रहे हैं.

बीते 4-5 साल से नफरती बयानबाजी की बाढ़ आई, पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?

बीते 4-5 साल से नफरती बयानबाजी की बाढ़ आई, पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?

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नूपुर शर्मा का पक्ष लेने वाले अब कह रहे हैं कि उस पर तो कार्रवाई हुई है लेकिन हिन्दूओ की भावनाओं को आहत करने वालों के खिलाफ ऐक्शन क्यों नहीं हो रही है. सरकार को इसका जवाब देना चाहिए.

'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

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भाजपा नेताओं के अनुसार नीतीश कितनी भी शिष्टाचार की बात कर लें, लेकिन उनमें इतना दंभ भरा है कि वो अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते. फिलहाल नीतीश को साथ रखना इन अपमानजनक घटनाओं के बाद भी भाजपा की मजबूरी है और इस कड़वे सत्य के सामने सब चुप हो जाते हैं.

'अग्निपथ' पर नीतीश ने सहयोगी BJP के सामने रुख किया साफ

'अग्निपथ' पर नीतीश ने सहयोगी BJP के सामने रुख किया साफ

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आपसी मनमुटाव और सावर्जनिक छींटाकशी एक आम सी बात है. नीतीश कुमार ने तो पिछले दिनों अमित शाह के उस बयान का भी मजाक बनाया था जिसमें उन्होंने इतिहास के दोबारा और जरूर लिखे जाने की बात कही थी.

अग्निपथ अग्निपथ, भरी जवानी में भूतपूर्व होने की अभूतपूर्व योजना

अग्निपथ अग्निपथ, भरी जवानी में भूतपूर्व होने की अभूतपूर्व योजना

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यही समझना है. जो जोश सेना से राजनीति में आता था, अब धर्म से आने लगा है. पहले सेना के नाम पर कई गलत चीज़ों को सही बताया गया, अब इसकी जगह धर्म की रक्षा ने ले ली है.धर्म के नशे में डूबा समाज किसी अत्याचार को गलत नहीं मानता. अब वह राजनीति के ज़रिए एक धर्म राष्ट्र का सपना देखने लगा है.

 
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