उत्तर प्रदेश में पांच साल तक के 50 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार, आजमगढ़ में सबसे ज्यादा, 10 बड़ी बातें

सरकार की तरफ से हालांकि इस मुसीबत से निपटने के लिए 'शबरी संकल्प योजना' की शुरुआत की गई है, जो उप्र के 39 जिलों में संचालित की जा रही है.

उत्तर प्रदेश में पांच साल तक के 50 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार, आजमगढ़ में सबसे ज्यादा, 10 बड़ी बातें

फाइल फोटो

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पांच वर्ष तक के बच्चों में लगातार बढ़ रहे कुपोषण ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. आंकड़ों के मुताबिक, उप्र में 50 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हो चुके हैं. जल्द ही सरकार की तरफ से कारगर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और भी बढ़ने की आशंका है. सरकार की तरफ से हालांकि इस मुसीबत से निपटने के लिए 'शबरी संकल्प योजना' की शुरुआत की गई है, जो उप्र के 39 जिलों में संचालित की जा रही है.

10 बड़ी बातें

  1. राज्य पोषण मिशन के एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, उप्र में पांच वर्ष तक के 54 लाख बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं. इनमें सर्वाधिक आजमगढ़ जिले में बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं.

  2. राज्य पोषण मिशन के निदेशक अनूप कुमार की माने तो प्रदेश के छह जिलों में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

  3. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, आजमगढ़ में 61 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जबकि दूसरे नंबर पर शाहजहांपुर है, जहां 54 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. बदायूं में 536, कौशांबी में 528, जौनपुर में 527 और चित्रकूट में 525 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. 

  4. रिपोर्ट कहती है कि इसके अलावा 33 जिले ऐसे हैं, जहां लगभग 30 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इनमें मुख्यमंत्री का गोरखपुर भी शामिल है. 

  5. निदेशक ने बताया, "कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत प्रदेश में पांच वर्ष तक की आयु के लगभग दो करोड़ बच्चों का वजन कराया गया. इनमें लगभग 40 लाख बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम वजन के मिले. इन्हें कुपोषित बच्चों की सूची में एलो कैटेगरी में रखा गया है. 

  6. इसके अलावा 1368734 बच्चे अति कुपोषित हैं, लिहाजा इन्हें रेड कैटेगरी में रखा गया है." अधिकारियों की मानें तो दिसंबर 2018 तक कुपोषित बच्चों की संख्या हालांकि 28 फीसदी से घटाकर 26 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. 

  7. हालांकि सरकार की तरफ से राज्य के 39 जिलों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए शबरी संकल्प योजना संचालित कर रही है. इसके तहत जिला स्तर के अधिकारी दो दो गांवों को गोद लेकर वहां मिशन की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की निगरानी करते हैं. इसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर भी अपलोड की जाती है. 

  8. इसके लिए काम सही दिशा में हो रहा है या नहीं, इसके लिए मिशन की तरफ से भी क्रॉस चेकिंग कराई जाती है. इसके लिए निजी एजेंसियों के माध्यम से इसकी जांच करवाई जाती है. आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 3000 अधिकारियों ने उप्र में 6000 गांवों को गोद लिया है.

  9. अधिकारियों का कहना है कि राज्य पोषण मिशन की ओर से कराए गए सर्वे में तीन श्रेणियां निर्धारित की गई थीं. हरी श्रेणी में पूरी तरह से स्वस्थ बच्चों को रखा गया, जबकि पीली श्रेणी में उन कुपोषित बच्चों को रखा गया, जो देखरेख से जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं.

  10. इसके अलावा लाल श्रेणी में अति कुपोषित बच्चों को ही रखा जाता है, इनकी वजह यह है कि ये उम्र के हिसाब से इनका वजन बेहद कम था. इन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत होती है, वरना इनकी मौत भी हो सकती है.