कोर्ट की अवमानना केस: CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को SC ने दी अनोखी सजा, 10 बड़ी बातें

इससे पहले सोमवार को राव ने सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दाखिल किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी और हलफनामे में कहा था कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं कि अदालत के आदेश के बिना मुख्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित नहीं करना चाहिए था.

नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला में सीबीआई के जांच अधिकारी का तबादला करने पर सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारी का तबादला ना करने का आदेश दिया था, लेकिन उसके बाद भी जांच अधिकारी एके शर्मा का तबादला कर दिया गया. इस पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए नागेश्वर राव को अवमानना के केस में तलब किया था. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव और एक अन्य अधिकारी को कोर्ट चलने तक वहीं एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई. इससे पहले सोमवार को राव ने सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दाखिल किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी और हलफनामे में कहा था कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं कि अदालत के आदेश के बिना मुख्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित नहीं करना चाहिए था.

कोर्ट में सुनवाई की दस बातें

  1. सुप्रीम कोर्ट ने राव और डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन को अनोखी सजा सुनाई है. कोर्ट ने अदालत की अवमानना पर एक लाख का जुर्माना लगाया और पूरे दिन कोर्ट चलने तक वहीं एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई है. 

  2. मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, हमसे किसी ने ऐसा नहीं सोचा होगा. 

  3. सीजेआई बोले- मैं यहां बैठकर यही सोचता हूं कि कोर्ट की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. यह सिर्फ अवमानना का केस नहीं है, यह ग्रेव मामला है.

  4. कोर्ट ने कहा कि स्वत: संज्ञान अवमानना में आरोप यह है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जांच अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफर किया गया. अंतरिम निदेशक का नोट बताता है कि उन्हें शर्मा के ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पता है. हम इससे सहमत नहीं हैं क्योंकि कोर्ट का आदेश स्पष्ट था. राव ने खुद को संतुष्ट किए बिना शर्मा को रिलीव करने के ड्राफ्ट पर साइन कैसे किए?

  5. सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव से पूछा क्या सजा दी जाए? हम 30 दिनों की जेल भेज सकते हैं.1

  6. अटॉर्नी जनरल ने दया के आधार पर कारवाई की बात की. एजी ने कहा फैसला समझने में गलती हुई. इस मामले को सहानुभूति के साथ देखा जाए. राव का 30 साल का बेदाग करियर है.

  7. सीजेआई अटॉर्नी जनरल से पूछा- अंतरिम निदेशक को पता था कि एके शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. एके शर्मा को रिलीव करने का नोट राव के पास पहुंचा और उन्होंने रिलीविंग लेटर पर साइन कर दिए. उन्होंने ये भी संतुष्ट करना जरूरी नहीं समझा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है या नहीं?

  8. साथ ही सीजेआई ने कहा, राव को ये पता होना चाहिए था कि इसका असर क्या होगा? वो हलफनामा कहां है जो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होना था? 

  9. राव पर बरसे CJI: एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए. दूसरी तरफ वो शर्मा का रिलीविंग आर्डर साइन कर देते हैं. अगर एक दिन बाद रिलीविंग ऑर्डर साइन होता को क्या आसमान टूट पड़ता?

  10. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राव की खिंचाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि भगवान ही आपकी मदद कर सकते है. दरअसल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले से जुड़े सीबीआई के अधिकारी के ट्रासफर करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव को पेश होने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये अवमानना का फिट केस है.