बजट से जुड़े मुश्किल शब्दों के अर्थ - आम आदमी की भाषा में...

बजट से जुड़े मुश्किल शब्दों के अर्थ - आम आदमी की भाषा में...

हर साल की तरह बजट पेश होने वाला है, और सभी की निगाहें उसी पर टिकी हुई हैं... लेकिन कभी-कभी समस्या यह हो जाती है कि बजट भाषण में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों का अर्थ आम आदमी नहीं समझ पाता, सो, आज हम आपके लिए लेकर आए बजट शब्दावली, जिसमें सभी ऐसे शब्दों के अर्थ आम आदमी की भाषा में समझाए गए हैं...

बजट शब्दावली...

  1. बजट लेखा-जोखा : वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है...

  2. संशोधित लेखा-जोखा : बजट में किए गए आकलनों और मौजूदा आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर इनके वास्तविक आंकड़ों के बीच का अंतर संशोधित लेखा-जोखा कहलाता है... इसका जिक्र आने वाले बजट में किया जाता है...

  3. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी): एक वर्ष के दौरान निर्मित सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है... इसमें कृषि, उद्योग और सेवा - तीन क्षेत्र शामिल होते हैं...

  4. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी): एक वर्ष के दौरान तैयार सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को, विदेशी नागिरकों द्वारा स्थानीय बाजार से अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है...

  5. वित्त विधेयक : नए कर लगाने, कर प्रस्तावों में परिवर्तन या मौजूदा कर ढांचे को जारी रखने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक को वित्त विधेयक कहते हैं...

  6. विनियोग विधेयक : सरकार द्वारा संचित निधि से रकम निकासी को मंजूरी दिलाने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक विनियोग विधेयक कहलाता है...

  7. वित्तीय घाटा : सरकार को प्राप्त कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर वित्तीय घाटा कहलाता है...

  8. राजस्व प्राप्ति : सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज और लाभांश तथा विभिन्न सेवाओं के बदले प्राप्त रकम को राजस्व प्राप्ति कहा जाता है...

  9. राजस्व व्यय : विभिन्न सरकारी विभागों और सेवाओं पर खर्च, ऋण पर ब्याज की अदायगी और सब्सिडियों पर होने वाले व्यय को राजस्व व्यय कहते हैं...

  10. विनिवेश : सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है...

  11. राष्ट्रीय ऋण : केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल ऋण को राष्ट्रीय ऋण कहते हैं... वित्तीय बजट घाटों को पूरा करने के लिए सरकार यह ऋण लेती है...

  12. संचित निधि (कोष) : सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि में जमा होते हैं...

  13. आकस्मिक निधि (कोष) : इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके...

  14. पूंजीगत व्यय : सरकार द्वारा अधिग्रहीत विभिन्न संपत्तियों पर हुए खर्च को पूंजीगत व्यय की श्रेणी में रखा जाता है...

  15. पूंजीगत प्राप्ति : इसमें सरकार द्वारा बाजार से लिए गए ऋण, भारतीय रिजर्व बैंक से ली गई उधारी और विनिवेश के ज़रिये प्राप्त आमदनी को शामिल किया जाता है...

  16. डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर) : वह टैक्स, जिसे आपसे सीधे तौर पर वसूला जाता है... मसलन, इनकम टैक्स, व्यवसाय से आय पर कर, शेयर या दूसरी संपत्तियों से आय पर कर, प्रॉपर्टी टैक्स...

  17. इन्डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) : वह टैक्स, जिसे आप सीधा नहीं जमा कराते, लेकिन यह आप ही से किसी और रूप में वसूला जाता है... देश में तैयार, आयात या निर्यात किए गए सभी सामानों पर लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं... इसमें उत्पाद कर और सीमा शुल्क शामिल किए जाते हैं...

  18. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई): किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारत स्थित किसी कंपनी में अपनी शाखा, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक कंपनी द्वारा निवेश करने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं...

  19. 80सी की बचत : आप अपनी आमदनी में से इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की एफ़डी, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे निवेशों में लगा सकते हैं, और ऐसे ही निवेशों को जोड़कर डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है... इस डेढ़ लाख रुपये को आपकी कुल आय में से घटा दिया जाता है और उसके बाद इनकम टैक्स का हिसाब लगाया जाता है...

  20. इनकम टैक्स : वह टैक्स, जो सरकार आपकी आय पर आय में से लेती है... वर्तमान में लागू नियमों के मुताबिक आपकी आमदनी के पहले ढाई लाख रुपये पर कोई कर नहीं लगता... ढाई लाख के बाद की कमाई पर टैक्स लगता है...

  21. एक्साइज़ ड्यूटी : यह देश में बने और यहीं बिकने वाले सामान पर वसूला जाता है... कंपनियों को फैक्ट्री में से सामान निकालने से पहले इसे भरना ज़रूरी है... यह ज़रूरी नहीं कि एक ही तरह की चीज़ों पर बराबर एक्साइज़ ड्यूटी लगाई जाए... यह सरकार की कमाई के सबसे बड़े साधनों में से एक है...

  22. औद्योगिक कर : औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाने वाले कर। यह उस प्रतिष्ठान के मालिक पर लगाए गए व्यक्तिगत कर से अलग होता है...