नाराज 4 जजों और CJI के बीच फिर मीटिंग, पढ़ें पिछले 6 दिनों में क्‍या हुआ

शुक्रवार को चारों न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है

नाराज 4 जजों और CJI के बीच फिर मीटिंग, पढ़ें पिछले 6 दिनों में क्‍या हुआ

4 जजों की मांग CJI एक रोडमैप के साथ आएं: सूत्र (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और नाराज चल रहे चार चारों न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ के बीच मतभेद दूर करने के लिए गुरुवार को फिर मी‍टिंग हुई. यह मीटिंग चीफ जस्टिस के चेंबर पर सुबह 10 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुई. मंगलवार के बाद यह दूसरी मीटिंग है. इस मीटिंग में चार नाराज जजों के अलावा और जज भी मौजूद रहे. इसमें जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस यू यू ललित भी मौजूद रहे. यह मीटिंग करीब 30 मिनट तक चली. यह बैठक बुधवार को ही होने वाली थी, लेकिन जस्टिस जे चेलामेश्वर के बीमार होने की वजह से बैठक को गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया. इस मामले में चारों बाग़ी जजों का मानना है कि चीफ जस्टिस को एक रोडमैप के साथ आना होगा. बागी जजों का ये कदम संस्थान को मजूबत बनाने के लिए है. इस मामले में कुछ हो रहा है और बागी जज डिबेट के लिए तैयार हैं.

पढ़ें पिछले छह दिनों में क्‍या-क्‍या हुआ

  1. गुरुवार (18 जनवरी) सूत्र के हवाले से बताया जा रहा है कि चीफ जस्टिस और चारों जजों के बीच आगे भी मीटिंग होंगी. अगले हफ्ते मीटिंग होंगी. आज की मीटिंग में चारों बागी जजों ने एक प्रस्ताव चीफ जस्टिस को दिया है. इसमें जजों के रोस्टर और महत्वपूर्ण मामलों को जजों को देने संबंधी प्रस्ताव भी हैं. चीफ जस्टिस ने चारों को भरोसा दिलाया है कि वो इस प्रस्ताव पर गौर करेंगे. 30 मिनट चली मीटिंग में इन जजों ने साथ में चाय भी पी.

  2. शुक्रवार (12 जनवरी) :सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जस्टिस देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए, और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है, और यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. उधर सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने जो मीडिया में बयान दिया है उससे सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायधीश सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सभी केस को समान रूप से महत्‍व दिया जाता है और इसका वितरण भी बिना किसी भेदभाव के किया जाता है. हमारे लिए सभी जज समान है और मैं सभी का स्‍वतंत्र रूप से सम्‍मान करता हूं. चारों जजों ने मीडिया से कहा, हम चारों मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं. किसी भी देश के कानून के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन, अभूतपूर्व घटना है, क्‍योंकि हमें यह ब्रीफिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्‍होंने कहा कि हमने यह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इसलिए की, ताकि हमें कोई यह न कह सके कि हमने आत्मा को बेच दिया है. जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर ने कहा कि SC में बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए था. हमें लगा, हमारी संस्था और देश के प्रति जवाबदेही है और हमने CJI को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कोशिश की, और उन्हें खत भी लिखा, लेकिन हमारे प्रयास नाकाम रहे. जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने दावा किया कि अगर संस्था को नहीं बचाया गया, तो देश में लोकतंत्र खत्‍म हो जाएगा.

  3. शनिवार (13 जनवरी) :सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने बैठक कर प्रस्ताव पास किया, जिसके अनुसार ये सुप्रीम कोर्ट के जजों का अंदरूनी मामला है, चीफ जस्टिस फुल कोर्ट मीटिंग बुलाकर इस मामले को सुलझाएं. सभी जनहित याचिकाएं चाहे वो नई या लंबित, सभी को पांच वरिष्ठ जजों की बेंच ही सुने.सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, 'जजों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस काफी गंभीर है. बार आग्रह करती है कि सारी जनहित याचिकाएं सोमवार से ही चीफ जस्टिस समेत पांच वरिष्ठ जजों जो कॉलेजियम के सदस्य हैं, उन्हें सुनवाई के लिए दी जाएं.'

  4. रविवार (14 जनवरी) : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा सार्वजनिक तौर पर उनके खिलाफ की गई टिप्पणी से उपजे संकट को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.देश में वकीलों के सर्वोच्च संगठन बीसीआई के एक प्रतिनिधिमंडल ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा से रविवार को उनके आवास पर तकरीबन 50 मिनट तक बातचीत की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने सौहार्दपूर्ण माहौल में सीजेआई से मुलाकात की और उन्होंने कहा कि सब कुछ जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.’’ वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस पीबी सावंत के साथ कई हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के नाम खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के चार नाराज़ न्यायाधीशों की ओर से उठाए गए मुद्दों का समर्थन करते हुए कहा गया कि बेंच बनाने और सुनवाई के लिए मुक़दमों का बंटवारा करने के मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को और ज़्यादा पारदर्शी और नियमि‍त करने की ज़रूरत है.पत्र पर जस्टिस पीबी सावंत के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के चन्द्रू और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एच सुरेश शामिल हैं. उधर, भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ  ‘‘चयनात्मक’’ तरीके से' मामलों के आबंटन और कुछ न्यायिक आदेशों को लेकर एक तरह से बगावत करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने रविवार को कहा कि कोई संकट नहीं है. न्यायमूर्ति गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आये थे.  कार्यक्रम के इतर उनसे पूछा गया कि संकट सुलझाने के लिए आगे का क्या रास्ता है, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘कोई संकट नहीं है.’’ 

  5. सोमवार (15 जनवरी) ; सभी जज सोमवार सुबह एक बार फिर लाउंज में इकट्ठा हुए और साथ में कॉफी चाय पी. हालांकि इस मुलाकात के दौरान सभी कोर्ट स्टॉफ को बाहर निकाल दिया गया. वहीं प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सोमवार को हुई मुलाकात के दौरान कई भावुक क्षण आए. कहा जा रहा है कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा यह कहते हुए रो पड़े कि मामला उठाने वाले चार न्यायाधीशों ने उनकी 'क्षमता' व 'ईमानदारी' पर सवाल उठाकर उन्हें 'अनुचित रूप से' निशाना बनाया. इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि कोर्ट में काम ठीक से जारी और अब विवाद नहीं. उन्‍होंने कहा कि सोमवार सुबह चीफ जस्टिस और नाराज चल रहे जजों के बीच अनौपचारिक बैठक हुई थी.वहीं सोमवार को आठ बड़े मामलों में संविधान पीठ के गठन को लेकर नोटिफिकेशन जारी हुआ. इस संविधान पीठ में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले चारों जस्टिस को शामिल नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि संविधान पीठ का गठन दिसंबर में ही हो गया था और उसका नोटिफिकेशन सोमवार को जारी हुआ है. 

  6. मंगलवार (16 जनवरी) : चारों नाराज चल रहे जज और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बीच करीब 15 मिनट तक बातचीत हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, यह सुलह बातचीत सही दिशा में जा रही है और ये आगे भी जारी रहेगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मुलाकात के बाद चार सीनियर जजों ने आपस में बैठक की. उनके बीच बैठक ऐसे समय हुई जब कुछ घंटे पहले सीजेआई ने शीर्ष अदालत में दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले अदालत के लान्ज में उनसे संवाद स्थापित किया और चाय पर उनसे बातचीत की.वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंगलवार कहा कि जजों के बीच विवाद नहीं सुलझा है और जजों के बीच मतभेद बना हुआ है. 

  7. बुधवार (17 जनवरी): सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और नाराज चल रहे चार जजों ने लंच के दौरान मुलाकात करनी थी लेकिन जस्टिस जे चेलामेश्वर छुट्टी पर होने के चलते यह मुलाकात नहीं हो सकी. वहीं जस्टिस रंजन गोगोई बीमार जस्टिस चेलामेश्वर से मिलने उनके घर पहुंचे और उनके बीच करीब 25 मिनट तक बातचीत हुई. हालांकि रोजाना कोर्ट शुरू होने से पहले सभी जजों की चाय माटिंग की तरह ये परंपरा भी सालों से चली आ रही है कि हर बुधवार को सभी जज साथ बैठकर लंच करते हैं. इस परंपरा के मुताबिक हर बुधवार को एक जज की ओर से बाकी जजों को लंच दिया जाता है. ये लंच जज के घर से ही आता है जो अपने क्षेत्र के मुताबिक लंच लाते हैं.


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