Meghalaya Rescue Operation: खदान में फंसे हैं 15 मजदूर, एयरफोर्स की मदद से बचाव कार्य तेज, 10 बातें

मेघालय में एक कोयले की खदान से पानी भरने से उसमें पिछले दो सप्ताह से फंसे 15 लोगों को निकालने की कोशिशें जारी हैं.

नई दिल्ली: मेघालय में एक कोयले की खदान से पानी भरने से उसमें पिछले दो सप्ताह से फंसे 15 लोगों को निकालने की कोशिशें जारी हैं. कोयला खदान में फंसे लोगों को बचाने के लिए अब एयरफोर्स भी आगे आ गया है. इतना ही नहीं, इस बचाव कार्य में मदद करने के लिए निजी पंप निर्माता कंपनी मौके पर पहुंच गए हैं. भारतीय वायु सेना और कोल इंडिया के बचावकर्मी ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में स्थित इस खदान में अब उपकरणों के साथ बचाव कार्य में जुट गए हैं. मेघालय की खदान में पिछले 15 दिनों से फंसे हुए खनिकों को बचाने के कार्य में पंप उत्पादन करने वाली दिग्गज भारतीय कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड ने मदद की पेशकश की है. कंपनी ने खदान से पानी निकालने में जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने को कहा है. इससे पहले किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड की दो टीम मदद के लिए बृस्पतिवार को यहां पहुंची. 

Meghalaya Rescue Operation से जुड़ी 10 बातें

  1. दरअसल, मेघालय में मजदूर करीब 370 फुट अवैध खदान में फंसे हुए हैं. इनके अलावा कोल इंडिया की तरफ से भी मदद का प्रस्ताव दिया गया है. खदान में अधिक मात्रा में पानी भर जाने के कारण काफी मुश्किलें आ रही हैं. अभी तक जिन पंपों के जरिए पानी को निकाला जा रहा था उनकी हॉर्स पावर कम थी, जिसके कारण बाहर से मदद पहुंचाई जा रही हैं.  श्रमिक 370 फुट अवैध खदान में फंसे हुए हैं. किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड ने एक बयान में कहा, ‘मेघालय में फंसे लोगों के लिए हम बेहद चिंतित हैं और हर तरह से मदद को तैयार हैं. हम अपनी सहायता देने के लिए मेघालय सरकार के अधिकारियों के संपर्क में हैं.'' 

  2. गुरुवार को ऐसी खबर आई कि खदान में फंसे मजदूरों की मौत हो जाने का संदेह है क्योंकि एनडीआरएफ के गोताखोर जब खदान में उतरे थे उन्होंने ‘दुर्गंध' महसूस की थी. हालांकि, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने गुरुवार को मीडिया की उन खबरों का खंडन किया. 

  3. उच्च क्षमता वाले पंप की सप्लाई कोल इंडिया द्वारा सड़क मार्ग से की जा रही है. स्पेशल पंपों को कोल इंडिया के माइन आसनसोल और झारखंड के धनबाद से लाया जा रहा है. 

  4. कोल इंडिया लि (CIL) ने गुरुवार को कहा कि वह मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ी में खदान में फंसे 15 श्रमिकों को बचाने के लिए एक राहत अभियान तेज करेगी. वायु सेना गुवाहटी से आधुनिक उपकरण के साथ घटना की जगह पहुंची.

  5. दरअसल, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने चार साल पहले मेघालय में कोयला खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन राज्य में अवैध गतिविधियां अब भी जारी हैं और हर दिन लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही है.    

  6. एक महीने पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता एग्नेस खरशिंग और उनके सहयोगी पर एक समूह ने हमला कर दिया था जिन पर संदेह था कि वे ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले के कोयला खनन माफिया के सदस्य थे. मजदूरों के प्रवेश करने और कोयला निकालने के लिए रैट होल खनन में संकुचित सुरंगें खोदी जाती हैं जो आम तौर पर तीन से चार फुट ऊंची होती हैं. 

  7. क्षैतिज सुरंगों को अक्सर “रैट होल्स” कहा जाता है क्योंकि प्रत्येक में केवल एक व्यक्ति के गुजरने की ही जगह होती है. सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक, 2014 में प्रतिबंध से पहले, कोयला खनन उद्योग राज्य के लिए सबसे ज्यादा, 700 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व जुटाता था. एनजीटी ने राज्य में कोयला खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए खनिकों की सुरक्षा को मुख्य कारणों में से एक बताया था.खींचने के लिए ज्यादा ऊर्जा वाले पंप की मांग रखते हुए राज्य सरकार ने बचाव अभियान रोक दिया है. 

  8. कोल इंडिया लिमिटेड के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को ताया कि सर्वेक्षणकर्ता घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके है. तलाशी और बचाव का काम शनिवार को रोक दिया गया था क्योंकि खदान में पानी का स्तर कम होता प्रतीत नहीं हो रहा था. एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट एस के सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को उच्च शक्ति वाले पंप की मांग करते हुए पत्र लिखा था क्योंकि इस कार्य के लिए 25 हॉर्स पावर के पंप पर्याप्त साबित नहीं हो पा रहे थे. 

  9. बता दें कि ये सभी खदान में 13 दिसंबर को आई बाढ़ के कारण फंस गए थे.  पानी भराव के कारण संकरी सुरंगों के जरिए खदान के अंदर घुसे मजदूरों तक बचाव दल पहुंच नहीं पा रहा है. इसलिए राहत कार्य भी रोकना पड़ा था. मगर अब बचाव कार्य तेज कर दिया गया है.

  10. खनन विशेषज्ञ जसबंत सिंह गिल ने भी मेघालय सरकार के अनुरोध पर खदान का दौरा किया था और सलाह दी कि रैट होल खदान में पानी जाने के रास्तों को बंद कर उच्च क्षमता वाले पंप से पानी निकाला जाए.