क्या सच में देश में '2014 जैसी मोदी लहर' नहीं? 'राम मंदिर' पर क्या है NDA के सहयोगी दलों की राय, 10 बातें

लोकसभा चुनाव 2019 की परोक्ष रुप से सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से तैयारियां कर रही हैं. 2019 के सियासी समर में एनडीए की राह भी आसान नहीं दिख रही है

क्या सच में देश में '2014 जैसी मोदी लहर' नहीं? 'राम मंदिर' पर क्या है NDA के सहयोगी दलों की राय, 10 बातें

पीएम मोदी और अमित शाह (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 की परोक्ष रुप से सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से तैयारियां कर रही हैं. 2019 के सियासी समर में एनडीए की राह भी आसान नहीं दिख रही है. एनडीए में ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर सहयोगी पार्टी अपना एक अलग स्टैंड रखते हैं. चाहे राम मंदिर का मुद्दा हो या फिर अच्छे दिन का वादा. शिवसेना से लेकर जनता दल यूनाइटेड तक बीजेपी से अपनी अलग राय रखते हैं. शिवसेना जहां राम मंदिर के निर्माण न होने पर मोदी सरकार को कोस रही है, वहीं राम मंदिर पर जदयू सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की सलाह दे रही है. गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित किया और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. शिवसेना का मानना है कि अब देश में 2014 जैसी मोदी लहर नहीं है. तो चलिए जानते हैं कि शिवसेना ने मोदी सरकार को लेकर क्या-क्या कहा है?

राम मंदिर पर किसने क्या-क्या कहा

  1. एक ओर जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत कह रहे हैं कि राम मंदिर के लिए सरकार क़ानून लाएं. वहीं दूसरी तरफ केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी कह रहे हैं कि बीजेपी राम के मुद्दे पर लोगों के साथ छल न करे. उद्धव ने दशहरे पर होने वाले पार्टी के सालाना कार्यक्रम में कहा कि वह 25 नवंबर को अयोध्या जाएंगे और वहां जाकर पीएम मोदी से कहेंगे कि वो लोगों की आस्था से न खेलें.

  2. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उद्वव ने राम मंदिर सहित कई मुद्दों पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में अब '2014 जैसी लहर' नहीं है. भाजपा ने 2014 में अपनी चुनावी जीत का श्रेय 'मोदी लहर' को दिया था. 

  3. उद्धव ठाकरे ने शिवसेना कार्यकर्ताओं से चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा. इसी साल हुए पार्टी के सम्मेलन में शिवसेना ने घोषणा की थी कि वह भविष्य में होने वाले चुनाव अकेले लड़ेगी. बता दें कि शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में साझीदार है और राजग का सबसे पुराना घटक है.

  4. शिवसेना प्रमुख ने राम मंदिर के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि वह 25 नवंबर को अयोध्या जाएंगे और पीएम मोदी से पूछेगें कि राम मंदिर का निर्माण क्यों नहीं हो रहा है. शिवसेना प्रमुख ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जैसे अच्छे दिन एक जुमला है, 15 लाख रुपये खाते में भेजना एक जुमला है वैसे ही अगर आपने राम मंदिर पर बात नहीं किया तो उसे भी जुमला बोलना पड़ेगा.

  5. ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कहा, 'मैं 25 नवंबर को अयोध्या जाउंगा. मैं प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करूंगा (मंदिर निर्माण में कथित देरी पर). उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री के दुश्मन नहीं है, लेकिन हम लोगों की भावनाओं के साथ नहीं खेलना चाहते.' 

  6. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि प्रधानमंत्री बनने के साढ़े चार साल बाद भी मोदी क्यों अयोध्या नहीं गए? ठाकरे ने भाजपा से कहा कि वह राम मंदिर निर्माण के अपने वादे को अगर पूरा नहीं करती है तो इसे 'जुमला' घोषित कर दे.

  7. दरअसल, इससे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने राम मंदिर राग (Ram Mandir) छेड़ा था. उनकी मांग है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार कानून बनाए. मोहन भागवत ने कहा, 'राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था. राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता. हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.'

  8. आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'राष्ट्रहित के इस मामले में स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक राजनीति करने वाली कुछ कट्टरपंथी ताकतें रोड़े अटका रही हैं. राजनीति के कारण राम मंदिर निर्माण में देरी हो रही है.' 

  9. बिहार में बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से इत्तेफाक नहीं रखता. जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर पार्टी का स्टैंड पूरी तरह साफ है. इस मसले का हल या तो हिन्दू-मुस्लिम समाजों के प्रतिनिधि निकालें या फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य हो, क्योंकि यह मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट के अधीन है.

  10. केसी त्यागी ने कहा कि हमारा मानना है कि हमें उसके फैसले तक इंतजार करना चाहिए. इस मुद्दे को बेवजह तूल देने की जरूरत नहीं है. एक बार फैसला आ जाए फिर सभी पार्टी को इसका सम्मान करना चाहिए.